धान की फसल पर मौसम का खतरा
जिले में करीब 60 हजार हेक्टयेर पर धान की रोपाई हो चुकी है। पानी न मिलने के कारण फसल की रंगत उड़ रही है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिले में करीब 60 हजार हेक्टयेर पर धान की रोपाई हो चुकी है। पानी न मिलने के कारण फसल की रंगत उड़ रही है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले दो दिन बारिश की संभावना नहीं है। इसके बाद मौसम में बदलाव संभावित है। हालांकि बीते दिनों छिटपुट बारिश हुई है, लेकिन यह भी कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित रही। बीते दिनों हुई बारिश
29 जून : 4.83 एमएम
2 जुलाई : 21.16
3 जुलाई : 17.67
4 जलाई : 24. 5
पैदावार प्रभावित होगी
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक धान के खेतों में दरार पड़ने से पैदावार प्रभावित होगी। पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलने से फुटाव कम होता है। फुटाव यदि कम होगा तो पैदावार का प्रभावित होना स्वाभाविक है। इसके अलावा खेत में सूखने वाले पौधों की संख्या भी बढ़ जाती है। उन क्षेत्रों में दिक्कत अधिक है, जहां ¨सचाई के साधन सीमित हैं। बीमारियों का बढ़ेगा प्रकोप
सूखे की स्थिति में धान की फसल में कीट व बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। धान में पत्ता लपेट व पत्तों का रस चूसने वाले कीटों की संख्या बढ़ जाती है। कई जगह तो पत्ता लपेट नामक बीमारी ने दस्तक दे दी है। किसानों ने दवाइयों का छिड़काव करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों मुताबिक यदि कुछ दिन और बारिश न हुई तो फसल ज्यादा प्रभावित होंगी। लागत मूल्य बढ़ा
इन दिनों खेतों में धान व गन्ना की फसल खड़ी है। फसल को बचाने के लिए किसानों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। डीजल इंजन का सहारा लेने को किसान मजबूर हैं। बीमारियों से बचाव के छिड़काव हो रही दवाई का खर्च भी बढ़ गया है। जो ट्यूबवेल चल रहे हैं, उनकी पानी की क्षमता भी घट चुकी है। दिनभर बरसी आग
रविवार को अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सुबह सूरज की पहली किरण से ही आग बरसनी शुरू हो गई थी और दिनभर जारी रही। उमस के कारण लोग दिनभर परेशान रहे। क्षेत्र के दिनेश कुमार व राजेंद्र कुमार का कहना है कि पिछले कई दिन से ऐसे ही हालात बने हुए हैं। गर्मी के कारण बुरा हाल है। बीते दिनों छिटपुट बारिश हुई थी, उसके बाद लगातार गर्मी बरस रही है। किसान संजू गुंदयाना का कहना है कि जुलाई माह में कई वर्ष के बाद ऐसे हालात देखे हैं। बारिश न होने से गन्ना व धान की फसल प्रभावित हो रही है। फसल का फुटाव कम हो गया है और पैदावार प्रभावित हो सकती है। पहले धान की रोपाई के लिए मशक्कत करनी पड़ी और अब फसल को बचाने के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है।
किसान हरपाल ¨सह का कहना है कि क्षेत्र में बारिश बिल्कुल नहीं हो रही है। कम से कम 15 घंटे बिजली आपूर्ति होनी चाहिए। धान के साथ-साथ गन्ने की फसल की बढ़वार भी थम चुकी है। सरकार को किसानों की दशा समझनी चाहिए और मांग के मुताबिक बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। बिजली बढ़ाए जाने की मांग को लेकर जल्दी ही एसई बिजली निगम से मिलेंगे। धान के खेतों में पानी रखने की जरूरत नहीं है। खेत गीला रहे, इतना ही काफी है। खेतों में दरारें बिल्कुल नहीं पड़ने दें। दरार होने की स्थिति में फुटाव रुक जाता है और पैदावार पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। आगामी दिनों बारिश की संभावना है।
डॉ. बीआर कंबोज, कोर्डिनेटर, कृषि विज्ञान केंद्र।