घर में पानी, छत पर आशियाना
भले ही हथनीकुंड बैराज पर यमुना नदी का जलस्तर घट कर दो लाख क्यूसेक पर पहुंच गया। मैदानी इलाकों में ये पानी तबाही मचा रहा है। आलम ये है कि लोगों को छतों पर तंबू लगाने पड़ रहे हैं। कुछ ने कैंटर और ट्राली में भी डेरा डाला है। जैसे-जैसे यमुना का पानी कम हो रहा है तबाही का मंजर सामने आ रहा है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : भले ही हथनीकुंड बैराज पर यमुना नदी का जलस्तर घट कर दो लाख क्यूसेक पर पहुंच गया। मैदानी इलाकों में ये पानी तबाही मचा रहा है। आलम ये है कि लोगों को छतों पर तंबू लगाने पड़ रहे हैं। कुछ ने कैंटर और ट्राली में भी डेरा डाला है। जैसे-जैसे यमुना का पानी कम हो रहा है, तबाही का मंजर सामने आ रहा है। भूमि कटाव से किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को है।
कई गांवों में बुरे हालात
लापरा, महमूदपुर, बड़ा लापरा, छोटा लापरा, कैत, मंडी, ओधरी, कलानौर, कमालपुर माली माजरा, बाकरपुर, साबापुर, कनालसी, बीबीपुर, गुमथला में यमुना का पानी घुस गया है। सबसे बुरा आलम लापरा, महमूदपुर, कलानौर, मंडी व कैत में है। यहां पर लोगों का सामान भी बह गया है।
सामान बह गया, लेकिन मेहमाननवाजी कम नहीं
लापरा में करीब तीन से चार फुट पानी है। अधिकतर घरों में सामान बाढ़ की चपेट में चढ़ गया। परिवार को लेकर कुछ सुरक्षित स्थान पर पहुंचे। कुछ ने छत पर डेरा डाल लिया है। थर्मल प्लांट की राख के लिए बने कुंड की ढांग पर परिवार के साथ तंबू लगाए बैठे इकराम व अब्दुल के चेहरे पर परेशानी झलक रही थी। जैसे ही उनके पास गए तो तुरंत मेहमाननवाजी में लग गए। उनके मन में पीड़ा थी तो प्रशासन के प्रति। दो दिन से वे अपना घर छोड़े परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे बैठे हैं। उनकी सुध लेने कोई नहीं आया है। गांव के सरपंच पति आजिज खान प्रभावित लोगों की मदद के लिए लगे हैं। फंसे लोगों को ट्रैक्टर से निकाला जा रहा है।
पीने के पानी को तरसे
ग्रामीण रहमान, उस्मान, कादिर, वासिद का कहना है कि पीने के पानी से तरस गए हैं। बाढ़ के बाद गांव में बीमारी फैलने का भय है। पशु भी चारा न मिलने से भूखे हैं। उनकी प्रशासन से गुहार है कि उनको मदद दी जाए।
कलानौर चौकी भी पानी में और गांव में घुसा पानी
ऊंचा नेशनल हाईवे बनने से बरसाती पानी ज्यादा नुकसान कर रहा है। पुलिस चौकी में पानी घुस गया। कलानौर गांव में भी कई फुट पानी जमा है। जमीन से छह फुट ऊंचे हाईवे के ऊपर से भी पानी गुजर रहा है। जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष खिला राम नरवाल का कहना है कि गांव में भारी नुकसान है। फसल तबाह हो गई। पिछली बार भी नुकसान हुआ था। फसल बीमा होने के बाद भी कोई मुआवजा नहीं दिया गया। हाईवे में अंडरपास भी नहीं है। अगर बनाए जाते तो बरसाती पानी को रास्ता मिल जाता।