4768 किसानों को मुआवजे का इंतजार, ओलावृष्टि से हो चुका भारी नुकसान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा पाई है। जिले के 476
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा पाई है। जिले के 4768 किसानों को मुआवजे का इंतजार है। बारिश, ओलावृष्टि व जल भराव के कारण जिले में करीब 12 हजार एकड़ फसल बर्बाद हुई थी। हालांकि नुकसान की रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी जा चुकी है, लेकिन मुआवजे पर अभी निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे किसानों की संख्या भी कम नहीं है, जिनके खेतों से पानी आज तक नहीं सूखा। धान की फसल पानी में डूबकर खराब हो गई।
इन परिस्थितियों में मुआवजे का प्रावधान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उन किसानों को मिलता है जिनकी फसल ओलावृष्टि, जल भराव व भू-स्खलन से फसल खराब हुई है। सितंबर माह में बारिश व ओलावृष्टि से जमकर कहर बरपाया। किसानों की तैयार फसल बर्बाद हो गई। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान हुआ है। भरपाई के लिए इन्होंने योजना के तहत आवेदन तो किया, लेकिन मुआवजा अभी फाइलों तक ही सीमित है। सरकार ने निजी कंपनी को योजना के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी हुई है।
गन्ने की फसल भी प्रभावित
ओलावृष्टि के कारण जिले में धान के साथ-साथ गन्ने की भी फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। करीब 20 हजार एकड़ गन्ने की फसल ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गई, लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में गन्ने की फसल को शामिल नहीं किया गया है। किसान सुरेश कुमार, अजमेर व हरी राम का कहना है कि सरकार ने जब बीमा योजना लागू की है तो गन्ने की फसल को भी योजना में शामिल किया जाना चाहिए। इस बार ओलावृष्टि के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है। इनसेट
फसल बीमा योजना किसानों के लिए धोखा है। किसी भी किसान को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। यह योजना पूरी तरह सरकार के अधीन होनी चाहिए। निजी कंपनी को योजना नहीं सौंपी जानी चाहिए। बीमा योजना के नाम पर किसानों को ठगा जा रहा है। पीड़ित किसानों को जल्द मुआवजा दिया जाना चाहिए और गन्ने की फसल को भी योजना में शामिल किया जाए।
रामबीर ¨सह चौहान, अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ। इनसेट
नुकसान की रिपोर्ट सरकार को भेजी हुई है। अभी मुआवजा दिए जाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। उम्मीद है जल्दी की किसानों को मुआवजा मिलना शुरू हो जाएगा। सरकार की ओर से निर्धारित मापदंडों के मुताबिक पीड़ित किसानों को मुआवजा मिलेगा।
डॉ. सुरेंद्र यादव, उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।