वायरल झूठी खबरें व समाज के लिए चुनौती: रचना कसाना
इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगना संभव नहीं है
इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगना संभव नहीं है
फोटो :8
जागरण संवाददाता, यमुनानगर:
इंटरनेट मीडिया (फेसबुक तथा वाट्सएप) में आए दिन वायरल हो रही झूठी खबरें व समाज के लिए चुनौती बन चुकी है। कुछ सालों में सोशल मीडिया पर फैली झूठी खबरों की वजह से कई जगहों पर दंगें हुए हैं। जब तक खबरों की प्रमाणिकता का सही प्रकार से मूल्याकंन नहीं किया जाएगा, तब तक इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगना संभव नहीं है। उक्त शब्द डीएवी सेंटेनरी कॉलेज फरीदाबाद के जनसंचार विभाग की अध्यक्षा एवं फैक्टसशाला ट्रेनर रचना कसाना ने कहे। कॉलेज के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से ऑन लाइन फैक्ट चेकिग विषय पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। कॉलेज प्रिसिपल डा. आभा खेतरपाल व जनसंचार विभाग अध्यक्ष परमेश कुमार ने इसकी अध्यक्षता की।
कसाना ने कहा कि लोगों की सोच में तब्दीली करने के लिहाज से आज इंटरनेट मीडिया को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इंटरनेट मीडिया पर वायरल झूठी फोटो•ा व वीडियों को हम वेरीफाई किए बैगर आगे फॉरवर्ड कर देते हैं। जिसकी वजह से कई बार देश में दंगें भी भड़क चुके हैं। बाबा राम रहीम के एक्सीडेंट का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इंटरनेट मीडिया पर वर्ष 2011में हुई घटना को वायरल किया गया। इंटरनेट मीडिया पर वीडियो के साथ जो कैप्शन लिखा जाता है, वह सब प्लानिग का हिस्सा है। जिस कारण किस बात को किस संदर्भ में प्रस्तुत किया जा रहा है, इसके बारे में जानकारी नहीं मिलती। एक सर्वे के मुताबिक देश का 44 प्रतिशत युवा फेसबुक से जानकारी प्राप्त कर रहा है। जबकि वाट्सएप पर 24 प्रतिशत निर्भर है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी सोच का स्तर किस प्रकार का होगा।