घोषणापत्र तक सिमटी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, चिकित्सकों के आधे पद पड़े हैं खाली
अवनीश कुमार यमुनानगर राजनीतिक पाíटयां स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किए जाने के दावे अपने घोषणा पत्रों के जरिये करती हैं। हर बार स्वास्थ्य सेवाएं मुद्दा भी बनती हैं लेकिन परिणाम वही रहता है।
अवनीश कुमार, यमुनानगर :
राजनीतिक पाíटयां स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किए जाने के दावे अपने घोषणा पत्रों के जरिये करती हैं। हर बार स्वास्थ्य सेवाएं मुद्दा भी बनती हैं, लेकिन परिणाम वही रहता है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बद से बदतर होती जा रही हैं। मुख्य दिक्कत डॉक्टरों की कमी की है। हर वर्ष सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर कम होते जा रहे हैं। यमुनानगर की बात करें तो यहां भी डॉक्टरों की कमी है। इस वजह से स्वास्थ्य सेवाएं बिगड़ रही हैं। जिले में 141 डॉक्टरों का काम 62 डॉक्टर संभाल रहे हैं। आयुष्मान योजना का भी नहीं मिल रहा लाभ
सरकार ने आíथक रूप से गरीब परिवारों के लिए आयुष्मान योजना शुरू की, लेकिन इसमें 278 बीमारियों का इलाज केवल सरकारी अस्पतालों में करवाए जाने की शर्त लगाई गई है। डॉक्टरों की कमी की वजह से संबंधित बीमारियों के मरीजों का इलाज भी नहीं हो रहा है। उन्हें भी यहां से रेफर करना पड़ रहा है। स्टाफ की स्थिति
पद - पोस्ट - वैकेंट
सिविल सर्जन - एक - 0
डिप्टी सिविल सर्जन - 8 - 7
प्रिंसिपल एमओ यमुनानगर - 1 - 0
डिप्टी एमओ यमुनानगर- 2 - 1
एसएमओ यमुनानगर - 5 - 2
एसएमओ जगाधरी - 1 - 0
एसएमओ सरस्वतीनगर- 1 - 1
एसएमओ नाहरपुर - 1 - 0
एसएमओ खिजराबाद - 1 - 1
एसएमओ रादौर - 1 - 0
एसएमओ साढौरा - 1 - 0
एसएमओ बिलासपुर - 1 - 1
एसएमओ छछरौली - 1 - 1
एमओ यमुनानगर - 55 - 38
एमओ जगाधरी - 8 - 0
एमओ सरस्वतीनगर - 7 - 4
एमओ भंभौल - 2 - 1
एमओ अरनौली - 2 - 0
एमओ नाहरपुर - 7 - 5
एमओ कलानौर - 2 - 0
एमओ साबापुर - 2 - 0
एमओ बूड़िया - 2 - 0
एमओ रादौर - 7- 5
एमओ अलाहर- 2- 2
एमओ अंटावा - 2- 0
एमओ छछरौली- 7- 2
एमओ खिजराबाद- 7- 0
एमओ खारवन- 2- 0
एमओ कोट मुस्तरकां- 2 - 1
एमओ खदरी- 2 - 2
एमओ साढौरा - 7- 3
एमओ रसूलपुर-2 - 2
एमओ बिलासपुर- 7- 5
एमओ मुगलवाली- 2 -1
एमओ हैबतपुर- 2 - 1
एमओ रणजीतपुर - 2- 2 फिजिशियन और ईएनटी सर्जन का भी तबादला
सिविल अस्पताल में छाती रोग विशेषज्ञ, त्वचा रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, ईएनटी स्पेशलिस्ट और पीडिटिएशन नहीं है। हाल ही में मनोरोज विशेषज्ञ डॉ. पारस सिधू जरूर यहां पर आए हैं। डॉक्टरों पर डिप्टी सिविल सर्जन का भी अतिरिक्त कार्यभार है। पहले फिजिशियन डॉ. अरविद चहल का तबादला हो गया। उनके स्थान पर कॉन्ट्रेक्ट पर डॉक्टर को लगाया गया है। रूटीन में मरीजों की जांच करने वाले चिकित्सकों पर ऑपरेशन करने की भी जिम्मेदारी है। इसके लिए भी दो दिन निर्धारित है। ऑपरेशन के दिन यह अन्य मरीजों को नहीं देख पाते। 1300 ओपीडी रोजाना
सिविल अस्पताल यमुनानगर की बात करें तो यहां पर हर रोज 1100 से 1300 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। इसी तरह से जगाधरी में भी हर रोज एक हजार की ओपीडी होती है। हालांकि इनमें गर्भवती महिलाएं अधिक होती हैं। चिकित्सकों के न होने से मरीजों को दिक्कत होती है। यदि एक भी चिकित्सक छुट्टी पर हो तो मरीजों को दिक्कत होती है। उन्हें अगले दिन आना पड़ता है या फिर दूसरी जगह इलाज के लिए जाना पड़ता है। एक साल के मरीजों का आंकड़ा
जनवरी से लेकर दिसंबर 2018 में 405213 मरीजों की ओपीडी सिविल अस्पताल यमुनानगर में हुई, जबकि जगाधरी में 189653 मरीजों की ओपीडी हुई। जिले की बात करें तो कुल 1205142 मरीजों की ओपीडी हुई। सिविल अस्पताल के अपग्रेड होने का चल रहा प्रोसेस
सिविल अस्पताल के अपग्रेड होने का प्रोसेस चल रहा है। 78 करोड़ रुपये की लागत से सिविल अस्पताल की बिल्डिंग बनेगी। इसके लिए टेंडर लग चुका है। नई बिल्डिंग बनने के बाद नए चिकित्सकों के आने की संभावना है, लेकिन इसमें भी अभी एक या दो साल का समय लग सकता है। कोट्स :
यह बिल्कुल सही बात है। हमारे पास डॉक्टरों की कमी है। इसकी वजह से काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है। सबसे बड़ी परेशानी किसी डिॉक्टर के छुट्टी पर जाने की वजह से होती है। इस बारे में लगातार आलाधिकारियों को पत्र भेज रहे हैं, जिससे कि स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर तरीके से चलाया जा सके।
डॉ. कुलदीप, सिविल सर्जन।