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दो मंडियां फिर भी सड़कों पर बिक रही लक्कड़, मार्केट व जीएसटी की हर रोज चोरी

जिले में दो लक्कड़ मंडियां होने पर भी लकड़ी सड़कों पर बिक रही है। लकड़ी से भरी ट्रालियों से सड़कों पर जाम लग रहा है। यह ट्रालियां न केवल जानलेवा बन रही हैं बल्कि इससे दो फीसद मार्केट फीस व 18 फीसद जीएसटी की भी चोरी हो रही है। जिससे सरकार के राजस्व को बहुत नुकसान हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 07:05 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 07:05 AM (IST)
दो मंडियां फिर भी सड़कों पर बिक रही लक्कड़, मार्केट व जीएसटी की हर रोज चोरी
दो मंडियां फिर भी सड़कों पर बिक रही लक्कड़, मार्केट व जीएसटी की हर रोज चोरी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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जिले में दो लक्कड़ मंडियां होने पर भी लकड़ी सड़कों पर बिक रही है। लकड़ी से भरी ट्रालियों से सड़कों पर जाम लग रहा है। यह ट्रालियां न केवल जानलेवा बन रही हैं, बल्कि इससे दो फीसद मार्केट फीस व 18 फीसद जीएसटी की भी चोरी हो रही है। जिससे सरकार के राजस्व को बहुत नुकसान हो रहा है। आढ़तियों व प्लाईवुड कारोबारियों की मनमर्जी सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचा रही है। पूरा प्रशासन इन ट्रालियों पर अंकुश लगाने में विफल रहा है। पिछले दिनों लकड़ी से भरी ट्रालियों को मंडी में पहुंचाने पर आढ़तियों ने हंगामा कर दिया था। बाद में एक कर्मचारी का तबादला हुआ।जिस कारण कर्मचारी भी सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (वस्तु एवं सेवा कर) के अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। जिससे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

सड़कों से ट्रालियां हटाने के लिए खोली थी मंडियां :

पहले शहर में छछरौली हाईवे और सहारनपुर मार्ग पर सड़कों किनारे ही लकड़ी की बोली (नीलामी) लगती थी। जिससे सड़कों पर हर समय जाम रहता था। हादसे भी होते थे। दिनरात लगने वाले जाम से लोगों को निजात दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने जगाधरी के मानकपुर व यमुनानगर के मंडौली में करोड़ों रुपये खर्च कर लक्कड़ मंडियां बनाई। मानकपुर मंडी का तो तीन साल पहले पांच करोड़ 57 लाख रुपये नवीनीकरण भी कराया गया था। इस राशि से मंडी को नीचे से पक्का किया गया ताकि इसमें लकड़ी लेकर आने वाली ट्रालियां न धंसे। प्रदेश के किसी ओर जिले में लक्कड़ मंडियां नहीं हैं। शुरुआत के दिनों में तो लकड़ी से भरी ट्रालियां मंडियों में गई परंतु धीरे-धीरे फिर से वही हालात हो गए हैं। सड़कों पर खड़ी लकड़ी की ट्रालियां लोगों के लिए मुसीबत बन गई हैं। जीएसटी की रकम को लेकर आढ़ती व प्लाईबोर्ड व्यापारियों के चल रही खींचतान से सरकार और जनता को नुकसान हो रहा है।

उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों से आती है लकड़ी :

जिले में रोजाना 1000 से ज्यादा लकड़ी की ट्रालियां आती हैं। जिन्हें आढ़ती खरीद कर प्लाईवुड फैक्ट्रियों में भेजते हैं। जिले में 350 प्लाईवुड फैक्ट्री, 290 पीलिग मशीनें, 70 चीपर टोका मशीनें व 500 से अधिक आरा मशीनें हैं। यमुनानगर मार्केट कमेटी से करीब 425 आढ़तियों ने लकड़ी खरीदने का लाइसेंस ले रखा है। जबकि जगाधरी मार्केट कमेटी से 200 से अधिक आढ़तियों ने लाइसेंस ले रखा है। फैक्ट्रियों में प्रतिदिन करीब तीन लाख क्विटल लकड़ी की खपत होती है। मंडियों में यमुनानगर के अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों और उत्तर प्रदेश से सफेदा व पोपुलर की लकड़ी ट्रैक्टर-ट्रालियों आती है।

सड़क के बीच में फंस जाते हैं वाहन : संजीव कुमार

वार्ड 12 के पार्षद संजीव कुमार का कहना है सहारनपुर मार्ग पर शादीपुर मोड़ से लेकर पांसरा फाटक तक आधी रात से ही लकड़ी की ट्रालियां खड़ी हो जाती हैं। जिनसे हर वक्त जाम रहता है। पांसरा की तरफ रहने वाले लोगों को तो यदि शहर आना हो तो उन्हें कई बार सोचना पड़ता है। क्योंकि पता नहीं जाम में कितनी देर फंसना पड़ जाए। कई बार तो लकड़ी के ट्रक व ट्रालियां सड़क के बीचोबीच फंस जाती हैं। वहीं इनकी वजह से सड़कों पर सारा दिन धूल उड़ती रहती है। जिससे कपड़े खराब हो जाते हैं। जाम के चलते ही छात्र कभी स्कूल, कालेज समय पर नहीं पहुंच पाते। शहर में जाने से ही लोगों का पूरा दिन खराब हो जाता है।

टीम चेकिग करती है : गौरव आर्य

मार्केट कमेटी सचिव गौरव आर्य का कहना है कि सभी आढ़तियों से कहा गया है कि वह लकड़ी की खरीद केवल मंडी के अंदर ही करें। मंडी से बाहर लकड़ी बेचना गलत है। हमारी टीमें लगातार चेकिग करती रहती हैं। जांच में यदि कोई ट्राली सड़क पर मिली तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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