दो सूरमा ऐसे भी : कोई बात करके दिखाएं तो जाने, एक फोन नहीं उठाते, दूसरे नंबर नहीं देते
अंबाला लोकसभा चुनावी मैदान में दो बड़ी पार्टी के दो सुरमा ऐसे हैं जो जीत का दावा ठोक रहे हैं। विकास के दावे भी खूब कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : अंबाला लोकसभा चुनावी मैदान में दो बड़ी पार्टी के दो सूरमा ऐसे हैं जो जीत का दावा ठोक रहे हैं। विकास के दावे भी खूब कर रहे हैं। पिछले कई वर्षो के विकास कार्य भी अपने खाते में जोड़कर दिखा रहे हैं, लेकिन जब संपर्क की बात आती है तो इनसे बात करना टेढ़ी खीर है। वैसे जनसंपर्क अभियान कर रहे हैं। ऐसे नेताओं को अगर कुर्सी मिल गई तो ढूंढ़ना भी मुश्किल हो जाएगा। चुनावी गलियारों में यही चर्चा है।
चुनावी चौपालों में इन दिनों नेताओं के वादों की बड़ी गूंज सुनाई दे रही है। अपनी जीत के लिए हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। नेता जी को ये नहीं पता कि जब जनता से ही दूरी बना लेंगे तो वोट कौन देगा। हालांकि ये दोनों ही नेता अनुभवी हैं। संपर्क न साधने पर इनके सिपहसलार कहते हैं कि ये बड़े नेता है। बड़े नेताओं से बात करने में दिक्कत आती ही है। ये बात सोचकर वे खुद को संतुष्ट करने का प्रयास कर लेते है, लेकिन जनता जनार्दन इस मुद्दे पर संतुष्ट नहीं है। कहा जा रहा है कि जो जनता सिर पर मोहड़ बांधेंगी। उससे दूरी रखना नेताओं की बात समझ से परे हैं। किसी के भाग्य में कुर्सी है। ये तो वक्त तय करेगा। इस प्रकार का नखरा शोभा नहीं देता।
बड़े नेता जी से बात करने का अथक प्रयास किया। उनके नजदीकी भी इस प्रयास में लगे। दिल्ली तक फोन लगाया गया, बाद में सभी थककर हार गए। चर्चा है कि अभी तक पॉवर का नशा सिर चढ़ा है। कुछ नशे वोटिग के दिन और बचा हुआ गिनती के दिन हट जाएगा। भगवा सत्ता से पहले ही इन नेताओं के करीब लोग आना चाहते हैं, कम्युनिकेशन दूरी कम नहीं हो पाई। बहुत अच्छे, दूसरे के काम भी हो गए अपने
चुनावी चौपाल पर बैठे लोग राजनीति चर्चा में मशगूल थे। इतने देर में सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो गया। इस मैसेज को पढ़ने के लिए ये लोग एक मिनट के लिए शांत हो गए। कुछ देर बाद सोच कर बोले कि भाई कमाल हैं नेताओं के भी। ये तो सुना था कि अपने फायदे के लिए किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। जो उन्होंने पढ़ा और मंथन किया। इससे ये बात स्पष्ट हो गई कि दूसरे के किए काम को अपने साथ जोड़ने से भी लोग पीछे नहीं हटते। इस प्रकार से प्रचार कर दूसरों को भ्रमित कर समर्थन पाने का प्रयास है। अब जनता समझदार है। जानती है सब कुछ। किसी के झांसे में नहीं आने वाली। इतने में दूसरा बोला भाई अब मौका है। वोट से चोट देने का। जो सही निर्णय लेगा। तभी अच्छा जनप्रतिनिधि मिल पाएगा।