एसी मैकेनिक को प्रशिक्षण, अब ओजोन परत को करेंगे काम
ज्यादा एसी के यूज से सर्दी-जुकाम इंफेक्शन बुखार दर्द जैसी स्वास्थ्य बीमारी ही नहीं होती इसमें यूज होने वाली गैस से ओजोन परत को भारी नुकसान है। इसमें आर-22 नाम की गैस का इस्तेमाल होता है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
ज्यादा एसी के यूज से सर्दी-जुकाम, इंफेक्शन, बुखार, दर्द जैसी स्वास्थ्य बीमारी ही नहीं होती, इसमें यूज होने वाली गैस से ओजोन परत को भारी नुकसान है। इसमें आर-22 नाम की गैस का इस्तेमाल होता है। ये एक किलोग्राम गैस हवा में फैलने पर 1810 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड जितना नुकसान पहुंचाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट और आंकड़े बताते हैं कि 20 प्रतिशत लोगों की रोशनी सूर्य की हानिकाक किरणों से प्रभावित होती है। हानिकारक गैस से ओजोन परत को नुकसान न हो, इसको लेकर अब एसी मैकेनिकों को आगाह किया जा रहा है। शुक्रवार को एचसीएफसी फेस आउट मैनेजमेंट प्लान के तहत एक्सपर्ट प्रशिक्षकों ने जिले भर के एसी मैकेनिकों को प्रशिक्षण दिया गया। पर्यावरण में घुल रही जहरीली गैसों के असर को कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
कार्यक्रम का आयोजन राजकुमार वधवार ने किया। इस दौरान सीनियर ट्रेनर अशोक माटा, राजेश मलिक, जेएस मान और हरीश बतरा ने मैकेनिकों को एसी रिपेयर की बारीकियों से अवगत करवाया। उनको बताया कि एसी रिपेयर के दौरान किन बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। क्योंकि आर-22 नामक गैस के रिसाव के कारण पर्यावरण प्रदूषित होता है। अचानक ब्रेक डाउन या लीकेज के कारण यह गैस नुकसानदायक साबित हो सकती है। इससे ओजोन परत और ग्लोबल वार्मिग को भी नुकसान पहुंचता है। आंखों की बीमारी, स्किन कैंसर हो सकती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है। आर-22 गैस पर रोक लग गई है। उसके स्थान पर आर- 32, 290 और 410 गैस का प्रयोग होगा। इससे ओजोन को नुकसान नहीं है। इसके यूज की सावधानी बताई गई। ये गैस ज्वलनशील है। 15 से 25 किमी तक ओजन परत, हानिकारक गैसों से बचाती है
ट्रेनर राजेश मलिक ने बताया कि 15 से 40 किलोमीटर ऊंचाई पर ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है। इसकी मोटाई में मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलाव होता रहता है। परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 93-99 प्रतिशत मात्रा को अवशोषित कर लेती है। ये गैस पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक है।