परपंरागत खेती का समय बीता, अब समय के साथ कदमताल कर रहे किसान
परंपरागत तरीके से खेती करने का समय अब बीत गया है। यदि मुनाफा कमाना है तो समय के साथ कदमताल करना पड़ेगा।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : परंपरागत तरीके से खेती करने का समय अब बीत गया है। यदि मुनाफा कमाना है, तो समय के साथ कदमताल करना पड़ेगा। यह बात अब क्षेत्र के किसानों के जेहन में घर करने लगी है। किसान मिट्टी की जांच करवाकर, आवश्यकतानुसार ही खाद-खुराक डाल रहे हैं। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से अब जल्दी की मिट्टी के सैंपल लिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक किसान स्वयं भी मिट्टी की जांच के लिए आगे आ रहे हैं।
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घिल्लोर के राजीव कुमार का कहना है कि मिट्टी की नियमित जांच जरूरी है। यदि बीमारी का ही पता नहीं लगेगा तो भला उपचार कैसे होगा? नमूनों की जो रिपोर्ट किसानों को उपलब्ध कराई जाती है, उनमें सभी प्रकार के तत्वों की जांच शामिल है। इनके माध्यम से किसानों को अपने खेत के स्वास्थ्य की जानकारी मिल जाती हे। वह जरुरत के मुताबिक फसलों में खाद-खुराक डाल सकता है। किसानों को स्वयं भी अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराने के लिए आगे आना चाहिए।
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घिल्लोर माजरी के लीलू राम का कहना है कि पुरानी परंपरा से खेती करना नुकसान का सौदा होता है। खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की जांच नियमित करा रहे हैं। गोबर और जैविक उर्वरकों का अधिक से प्रयोग करना चाहिए। इनसे भूमि के अंदर पौषक तत्व बने रहेंगे। समय के साथ चलना जरूरी है। सरकार ने यदि कोई सुविधा दी है तो उसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए। जब से हमने मिट्टी की जांच करवानी शुरू की है तब से फसल की लागत में कमी आई है।
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मदन लाल का कहना है कि जैसे मकान निर्माण कराने में तमाम चीजों की आवश्यकता ओर देखभाल जरूरी होती है वैसे ही खेती करने में सभी चीजों की जरूरत पूरी करनी होती है। खेत की जरूरत पूरी किए बिना हम अच्छी उपज नहीं कर सकते हैं। जो किसान खेती की अपने ढंग से देखभाल कर मिट्टी की आवश्यकता पूरी कर रहे हैं वह सबसे ज्यादा सफल हैं। और अपनी आमदनी को दोगुना कर रहे हैं इसलिए सफलता हासिल करने के लिए नई तकनीकी से खेती खूब खुशहाली देती है।
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मिट्टी की जांच कराना किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। किसान को पता लग जाता है कि भूमि के अंदर किस पौषक तत्व की कमी आई है। उसी के मुताबिक खाद-खुराक उपलब्ध करवा दिया जाता है। जब से मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना लागू हुई है, तब किसानों में जागरूकता आई है। भूमि की सेहत भी सुधरी है।
डॉ. सुरेंद्र यादव, उप-निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।