ई टेंड¨रग पेमेंट की व्यवस्था के विरोध में उतरे आढ़ती
संवाद सहयोगी, देवधर: ई टेंड¨रग पेमेंट की व्यवस्था का जिले के आढ़तियों ने भी ई टेंड¨रग पेमेंट की व्यवस्था का जिले के आढ़तियों ने भी विरोध किया है। शुक्रवार को छछरौली व खिजराबाद के आढ़तियों ने मार्केट कमेटी के कार्यालय पर धरना दिया। ई टेंड¨रग को बंद करने की मांग को लेकर आढ़तियों ने मार्केट कमेटी के सचिव को सीएम के नाम ज्ञापन दिया
संवाद सहयोगी, देवधर:
ई टेंड¨रग पेमेंट की व्यवस्था का जिले के आढ़तियों ने भी विरोध किया है। शुक्रवार को छछरौली व खिजराबाद के आढ़तियों ने मार्केट कमेटी के कार्यालय पर धरना दिया। ई टेंड¨रग को बंद करने की मांग को लेकर आढ़तियों ने मार्केट कमेटी के सचिव को सीएम के नाम ज्ञापन दिया।
अनाज मंडी छछरौली के आढ़ती जगमाल ¨सह, प्रेम सागर, दर्शन लाल खेत्रपाल, विशाल गोयल, नागेश चंद्र, रणवीर ¨सह, सचिन गोयल, मोहित ¨सगला व राजेश कुमार और खिजराबाद अनाज मंडी के आढ़ती प्रवीन बटार व प्रवीन अग्रवाल ने कहा कि मंडी डबवाली व अन्य कुछ मंडियों में मार्केट कमेटी के अधिकारी पिछले दिनों से ई-टेंड¨रग व डायरेक्ट पेमेंट व्यवस्था लागू करने के लिए दबाव बना रहे हैं। सीएम ने बातचीत में आश्वस्त किया गया था कि ई-टेंड¨रग व डायरेक्ट पेमेंट हमारी मंडियों में सरकार द्वारा लागू नहीं की जाएगी। इसके बावजूद भी हरियाणा राज्य मार्के¨टग बोर्ड ने इसके लिए आदेश जारी कर दिए।
ज्ञापन में आढ़तियों ने बताया कि हरियाणा के किसानों ने भुगतान की मांग नहीं की और न ही इस विषय पर कोई आंदोलन किया। पिछले 10 वर्षों से पंजाब में यह व्यवस्था भी कामयाब नहीं हुई। किसानों ने हाई कोर्ट में याचिका डाल कर सीधे किसानों को भुगतान की मांग की थी, तो हाई कोर्ट ने तत्कालीन पंजाब सरकार को आदेश दिए थे। भुगतान की मांग करने वालों को सीधा लाभ दिया जाए। इस वजह से पूरे प्रदेश में केवल दो किसान ही सरकार से सीधा भुगतान ले रहे हैं। ये वहीं किसान हैं, जिन्होंने याचिका डाली थी। आढ़ती से पहले ही पेमेंट ले लेते हैं किसान :
किसान अपनी फसल लगाने के लिए आढ़तियों से पहले ही एडवांस पेमेंट ले लेते हैं। फसल बिकने पर अपना एडवांस काट कर आढ़ती बकाया राशि का भुगतान किसान को कर देता है। आढ़ती के पास उस फसल का भुगतान कई महीनों में आता हैं। किसान की फसल की भुगतान की पूरी जिम्मेदारी आढ़ती की होती है। चाहे वह भुगतान मिलर या निर्यातक से आढ़ती को आए या ना आए। आढ़तियों का कहना है कि हरियाणा की मंडियों में लगभग 600 करोड़ रुपये निर्यातकों के पास पिछले तीन वर्षों से रुके पड़े हैं, जबकि आढ़तियों ने किसानों का भुगतान कर दिया है।