मांगें मनवाने के लिए अब कल से नर्सिग स्टाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, बिगड़ेगी स्वास्थ्य सेवाएं
बहुद्देश्यीय स्वास्थ्य वर्करों के बाद अब नर्सिग स्टाफ ने मांगों पूरी कराने के लिए हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है। 10 अक्टूबर से नर्सिग स्टाफ हड़ताल करेगा। इससे जिले की स्वास्थ्य सेवाएं बिगड़ेगी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बहुद्देश्यीय स्वास्थ्य वर्करों के बाद अब नर्सिग स्टाफ ने मांगों पूरी कराने के लिए हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है। 10 अक्टूबर से नर्सिग स्टाफ हड़ताल करेगा। इससे जिले की स्वास्थ्य सेवाएं बिगड़ेगी। नर्सिग स्टाफ ने इस बारे में कार्यवाहक सिविल सर्जन डॉ. रमेश को ज्ञापन भी दिया है। नर्सिग स्टाफ के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ेगा। सबसे अधिक परेशानी ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों को होगी, क्योंकि इस बार नर्सिग स्टाफ ने इमरजेंसी में भी कार्य नहीं करने का निर्णय लिया है।
जिले में 150 का नर्सिग स्टाफ है। ये तीन-तीन शिफ्टों में कार्य करती हैं। एक शिफ्ट में पांच नर्सिग स्टाफ की तैनाती होती है। इस तरह से 24 घंटे में 15 नर्सिग स्टाफ की ड्यूटी अस्पताल में होती है। जिले में 16 पीएचसी, 25 सीएचसी और दो सिविल अस्पताल जगाधरी व यमुनानगर में हैं।
ये हैं नर्सिग स्टाफ की मांगें
--ग्रेड पे 4200 से बढ़ाकर 4600 किया जाए।
--नर्सिग स्टाफ के स्थान पर नर्सिग अफसर का पद दिया जाए।
--अलाउंस 7200 रुपये किया जाए।
--रिस्क अलाउंस बढ़ाकर 5300 रुपये किया जाए।
यह दिया गया ज्ञापन
नर्सिग स्टाफ एसोसिएशन की प्रधान इंदू, कोषाध्यक्ष परमजीत, महासचिव किरण ज्योति, उपप्रधन कांता की ओर से सिविल सर्जन को दिए ज्ञापन में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नर्सिग स्टाफ की मांगों को लेकर गंभीर नहीं हैं। उनकी मांगों पर टरकाऊ नीति अपनाई जा रही है। इससे ही अब नर्सिग स्टाफ व दूसरे नर्सिग अमले ने भी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। इसके कारण मरीजों को होने वाली दिक्कतों की जिम्मेदारी सरकार की होगी। इसमें सभी अस्पतालों से नर्सिग स्टाफ हड़ताल में शामिल होगा। 10 अक्टूबर को सभी स्टाफ एकत्र होकर सिविल अस्पताल में बने हर्बल पार्क में धरना देंगे।
प्रधान इंदू का कहना है कि पहले भी उन्होंने हड़ताल की थी, लेकिन उस समय इमरजेंसी सेवाओं की हड़ताल नहीं की गई थी। सरकार ने मांगों को पूरी करने का आश्वासन दिया था। अब तक इस मामले में कोई कदम सरकार की ओर से नहीं उठाया गया। इसलिए ही अब दोबारा हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया है। यह हड़ताल पूरे प्रदेश में होगी।
मरीजों को होगी परेशानी
नर्सिग स्टाफ की हड़ताल से मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। मरीजों की एंट्री से लेकर पट्टी करने और मरीजों की नियमित देखरेख की जिम्मेदारी नर्सिग स्टाफ की होती है। ऐसे में यदि हड़ताल होती है, सबसे अधिक दिक्कत ऐसे ही मरीजों को आएगी। इसके अलावा इमरजेंसी सेवाएं बिगड़ेगी। इमरजेंसी सेवाओं में मरीजों को इलाज नहीं मिल सकेगा। ट्रॉमा सेंटर में रोजाना 140 से 155 मरीज पहुंचते हैं, जबकि ओपीडी का कोई आंकड़ा नहीं होता। वह कभी बढ़ जाती है, तो कभी घट जाती है।