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विदेश में अच्छी नौकरी का लालच देकर बेरोजगारों को निशाना बनाते हैं ठग

विदेश जाने के लालच में लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। एजेंट उन्हें सब्जबाग दिखाकर वीजा और नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं। कुछ को बिना परमिशन के दूसरे देशों में भेज दिया जाता है तो कुछ विदेश जाकर फंस जाते हैं। इस तरह के काफी मामले सामने आते हैं। हालांकि ठगी के इन आरोपितों तक पुलिस भी नहीं पहुंच पाती।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 07:10 AM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 07:10 AM (IST)
विदेश में अच्छी नौकरी का लालच देकर बेरोजगारों को निशाना बनाते हैं ठग
विदेश में अच्छी नौकरी का लालच देकर बेरोजगारों को निशाना बनाते हैं ठग

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : विदेश जाने के लालच में लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। एजेंट उन्हें सब्जबाग दिखाकर वीजा और नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं। कुछ को बिना परमिशन के दूसरे देशों में भेज दिया जाता है, तो कुछ विदेश जाकर फंस जाते हैं। इस तरह के काफी मामले सामने आते हैं। हालांकि ठगी के इन आरोपितों तक पुलिस भी नहीं पहुंच पाती।

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जिले के कैत गांव से दो युवक और रादौर एरिया के युवक के साथ धोखाधड़ी हुई। उन्हें सऊदी अरब में रिफाइनरी में काम करने के लिए भेजा गया था, लेकिन वहां पर उन्हें बकरी चराने के कार्य में लगा दिया। बाद में उन्होंने घर से पैसा मंगवाया और वापस आए। इस प्रकार के कबूतरबाजी के मामलों को लेकर सरकार सख्त हुई, जिस पर मार्च माह में 14 केस दर्ज हुए थे। कुछ को विदेश भेजा गया, वहीं कुछ से पैसे लेकर एजेंट फरार हो गए। पालेवाला निवासी प्रताप सिंह से विदेश भेजने के नाम पर सात लाख रुपये लिए गए। एयरपोर्ट पहुंचने पर उन्हें किडनैप कर लिया गया। उत्तर प्रदेश के गांव ढिक्का टपरी निवासी सुधीर कुमार को पोलैंड भेजने के नाम पर साढ़े आठ लाख रुपये ठगे गए। यह पैसे जुटाने के लिए उन्होंने आढ़ती से ब्याज पर पैसे लिए, रिश्तेदारों से जुटाए और यहां तक दो भैंसें भी बेचनी पड़ी। एयरपोर्ट पर एजेंट उन्हें छोड़कर फरार हो गया। इसी तरह से सिकंदरा गांव निवासी दलबीर के साथ ठगी हुई। उन्हें पुर्तगाल भेजने के बजाय अजरबाइन भेज दिया गया। यहां पर वह एक होटल में रहा। यहां पर कोई नहीं मिला, तो उसने पैसा घर से मंगवाया और फिर वापस आया।

एजेंटों के जाल में फंस फंसते युवा

विदेशों में अच्छी कमाई होने की बात कहकर एजेंट युवाओं को निशाना बनाते हैं। ऐसे लोगों से संपर्क करते हैं, जिनके बच्चे बेरोजगार हैं। उन्हें शुरू में कुछ पैसा जमा कराने की बात कही जाती है। अच्छी खासी रकम लेकर यह एजेंट फुर्र हो जाते हैं। बाद में पीड़ितों के पास कोई रास्ता नहीं बचता। फिर मामला पुलिस के पास पहुंचता है। यहां भी इकोनॉमिक सेल जांच के नाम पर शिकायत को लटकाए रखती है, फिर केस दर्ज होता है। तब तक आरोपित सामान समेटकर फरार हो जाते हैं।


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