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संस्कृत से दूर रहने से मानव मन के विचार हुए प्रदूषित

गुरु नानक खालसा कॉलेज के संस्कृत विभाग की और से संस्कृत भारती के सहयोग से संस्कृत वस्तु एवं पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मेजर एचएस कंग ने किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:13 AM (IST)
संस्कृत से दूर रहने से मानव मन के विचार हुए प्रदूषित
संस्कृत से दूर रहने से मानव मन के विचार हुए प्रदूषित

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गुरु नानक खालसा कॉलेज के संस्कृत विभाग की और से संस्कृत भारती के सहयोग से संस्कृत वस्तु एवं पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मेजर एचएस कंग ने किया। उन्होंने कहा कि संस्कारों की जननी संस्कृत भाषा से दूर होने के कारण मानव मन के विचार प्रदूषित हो गए हैं। संस्कृत के विकास को लेकर सरकार और समाजसेवी संस्थाओं की और से संयुक्त प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम की संयोजक और संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रो. लवलीन ने यह कहते हुए कहा कि एक विद्यार्थी का भविष्य उसके द्वारा चयनित विषयों पर निर्भर करता है। संस्कृत भारती के विस्तारक राकेश जागलन ने 24 घंटे में संस्कृत सिखाने का दावा करते हुए कहा कि उनकी संस्था के द्वारा निश्शुल्क संस्कृत सिखाने के लिए समय-समय पर शिविर लगाए जाते हैं। कॉलेज के स्टाफ और छात्र-छात्राओं ने घरेलू प्रयोग की वस्तुओं और पुस्तकों में रूचि लेते हुए उनके बारे में जानकारी हासिल की। संस्कृत विभाग की और से प्राचार्य डॉ. मेजर एचएस कंग को सम्मानित किया गया।

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