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बिना मान्यता चल रहे स्कूल, बच्चों का भविष्य दांव पर

जागरण संवाददाता यमुनानगर शिक्षा विभाग की मिलीभगत से कई शिक्षा विभाग की मिलीभगत से कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं। इससे बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है। दस्तावेज पूरे नहीं होने पर स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल और विश्व भारती पब्लिक स्कूल के टाइअप का मामला खुल गया लेकिन अब अभिभावकों को इस ओर सचेत होना होगा

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 10:20 AM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 10:20 AM (IST)
बिना मान्यता चल रहे स्कूल, बच्चों का भविष्य दांव पर
बिना मान्यता चल रहे स्कूल, बच्चों का भविष्य दांव पर

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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शिक्षा विभाग की मिलीभगत से कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं। इससे बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है। दस्तावेज पूरे नहीं होने पर स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल और विश्व भारती पब्लिक स्कूल के टाइअप का मामला खुल गया, लेकिन अब अभिभावकों को इस ओर सचेत होना होगा। यह इसलिए भी जरूरी है कि इन दिनों स्कूलों में एडमिशन चल रहे हैं। सीबीएसई बोर्ड के स्कूल सुविधाएं देने के नाम पर अभिभावकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं। दो साल पहले 106 स्कूलों को शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी किया था। बाद में इन्होंने शिक्षा विभाग से मिलीभगत कर ली। इन पर कोई कार्रवाई तो दूर जुर्माना तक नहीं लगा। अब हाल ही मे माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने यमुनानगर के 36 फर्जी स्कूलों की सूची जारी की है। इन स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए हैं। ये घालमेल इतना जबरदस्त है कि इन स्कूलों की सूची भी शिक्षा विभाग जारी नहीं कर रहा। सूची सार्वजनिक होने से बच्चों का भविष्य दांव लगने से बच सकता है।

सीबीएसई बोर्ड के दसवीं कक्षा के 35 बच्चों को रोल नंबर जारी नहीं होने का मामला चल रहा है। इस मामले में सामने आया कि बिना मान्यता के स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल चल रहा था। यह अपने यहां दसवीं कक्षा के छात्रों का एडमिशन कर रहा था। जब परीक्षा का समय आता तो विश्व भारती स्कूल से प्रबंधन ने टाइअप कर रखा था। यह खेल काफी समय से चल रहा था। इस बार दस्तावेज बोर्ड में जमा कराने में विश्व भारती स्कूल लेट हो गया। इस वजह से पूरा मामला खुला। स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल को भी मिला था नोटिस

बताया जा रहा है कि स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल को दो साल पहले भी नोटिस हुआ था। यह स्कूल सीबीएसई से मान्यता होने का दावा कर छात्रों का एडमिशन कर रहा है। जबकि इनके पास यहां की मान्यता नहीं है। आठवीं तक भी यह स्कूल भिवानी बोर्ड से ही मान्यता प्राप्त है। फीस सीबीएसई के स्कूलों की तर्ज पर ली जा रही है। विभागीय अधिकारियों से मिलकर यह स्कूल चल रहा है। शिक्षा विभाग के ही एक अधिकारी ने बताया कि स्कूल को रिकोग्नाइज होने के बाद ही एनओसी मिलती है। यह स्कूल रिकोग्नाइज नहीं है। इसलिए ही इस स्कूल ने विश्व भारती पब्लिक स्कूल से टाइअप कर रखा है। यह खेल कई सालों से चल रहा है। नियमानुसार यह गलत है। अभिभावकों को ऐसे पता लगेगा असली-नकली का

अभिभावक जागरूक मंच के प्रधान आशीष मित्तल का कहना है कि अभिभावकों को कैसे पता लगेगा कि स्कूल असली या फर्जी। शिक्षा विभाग का भी इन स्कूलों को संरक्षण है। इसमें कोई दो राय नहीं है। इसके लिए शिक्षा विभाग को पॉलिसी बनानी चाहिए। स्कूलों के गेट पर मान्यता से जुड़े दस्तावेज चस्पा होने चाहिए। तभी अभिभावकों को पता लग सकेगा। प्रशासन कराए इन स्कूलों की जांच शहीद भगत सिंह मंच के प्रधान संजीव वालिया का कहना है कि जिले में खनन माफिया की तरह एजुकेशन माफिया सक्रिय हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर यह पूरा धंधा चलता है। प्रशासन को इनकी जांच करानी चाहिए। सबसे पहले उन अफसरों पर कार्रवाई हो, जो इस नेटवर्क को चला रहे हैं। बिना अफसरों की मिलीभगत के यह काम नहीं हो सकता। ये स्कूल मोटी फीस ले रहे हैं। इसका भी हम लगातार विरोध कर रहे हैं।


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