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सरकारी कर्मचारियों के बच्चों की पहली पसंद है ये माडल स्कूल

यमुनानगर सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों की अवधारणा बन चुकी है कि इनमें पढ़ाई नहीं होती मगर एक स्कूल ऐसा भी है जहां अधिकतर सरकारी कर्मचारियों के बच्चे ही शिक्षा ले रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 07:50 AM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 07:50 AM (IST)
सरकारी कर्मचारियों के बच्चों की पहली पसंद है ये माडल स्कूल
सरकारी कर्मचारियों के बच्चों की पहली पसंद है ये माडल स्कूल

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों की अवधारणा बन चुकी है कि इनमें पढ़ाई नहीं होती। जितने भी शिक्षक इनमें पढ़ाते हैं उनके खुद के बच्चे नामी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। परंतु राजकीय आदर्श संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल बिलासपुर एक ऐसा स्कूल है जिसमें यहां पढ़ाने वाले 80 प्रतिशत शिक्षकों व अन्य स्टाफ के बच्चे पढ़ते हैं। कुल मिलाकर यहां 170 से अधिक शिक्षकों व अफसरों के बच्चे पढ़ रहे हैं। काफी तो स्कूल की पढ़ाई पूरी कर कालेजों में जा रहे हैं।

600 से 2400 हुई छात्रों की संख्या : राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल बिलासपुर को वर्ष 2007 में आदर्श संस्कृति यानि माडल स्कूल का दर्जा मिला था। तब स्कूल में महज 600 छात्र थे। माडल स्कूल बनने के बाद इसमें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होने लगी। काफी बच्चे तो अंग्रेजी से डर कर दूसरे स्कूल में शिफ्ट हो गए। वर्ष 2003 में राजकीय सीसे स्कूल जगाधरी से पदोन्नति लेकर सुमन बहमनी राजकीय स्कूल बिलासपुर की प्रिसिपल बनी थी। माडल स्कूल बनने के बाद यहां बच्चों की संख्या बढ़ाना किसी चुनौती से कम नहीं था। क्योंकि स्कूल में मात्र 10 कमरे थे जिनमें 600 बच्चों को बिठाना इतना आसान नहीं था। तब सुमन बहमनी क्षेत्र के मौजिज लोगों से मिली जिनकी मदद से स्कूल में 25 कमरों का निर्माण कराया गया। वर्ष 2010 में बच्चों की संख्या 1500 को पार कर गई। अब स्कूल में 2400 से अधिक बच्चे हैं। पहले अपनी बेटी का कराया दाखिला : सुमन बहमनी अगस्त माह में ही प्रिसिपल से पदोन्नत होकर डिप्टी डीईओ बनी। लोगों का विश्वास जीतने के लिए उन्होंने सबसे पहले अपनी बेटी को स्कूल में दाखिल किया। इसके बाद दूसरे शिक्षक भी अपने बच्चों को यहां पढ़ाने लगे। स्कूल के शिक्षक केपी सैनी ने बताया कि स्कूल का रिजल्ट अच्छा रहता है। इसलिए बेटे को यहीं पढ़ाया। अब वह इंजीनियरिग कर रहा है। इसी तरह भूगोल के शिक्षक विनोद व कृषि के प्रोफेसर अश्वनी ने भी बच्चों को यहीं पढ़ाया। मेरिट व प्रथम श्रेणी में ही पास होते हैं बच्चे : स्कूल की बोर्ड कक्षाओं का परीक्षा परिणाम दूसरे स्कूलों से बहुत ज्यादा बेहतर रहता है। इस बार भी 10वीं व 12वीं कक्षा के बच्चे मेरिट व प्रथम श्रेणी से ही पास हुए। सुमन बहमनी का कहना है कि सभी की मेहनत से ही माडल स्कूल बुलंदियों पर पहुंच पाया। यही वजह है कि इसमें बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों के बच्चे पढ़ते हैं।


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