ये बच्चों को शिक्षित नहीं आगे बढ़ने के लिए देते हैं आर्थिक मदद
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सहयोगी सेठ मुकंद लाल की ओर से 70 वर्ष पूर्व बोया गया शिक्षा का पौधा आज बट वृक्ष बन चुका है। जिले में पहला हाई स्कूल खोलने का श्रेय इनको है। उस समय स्कूल न के बरार होते थे। 28 से ज्यादा शिक्षण संस्थान है। इनमें 23 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
पोपीन पंवार, यमुनानगर
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सहयोगी सेठ मुकंद लाल की ओर से 70 वर्ष पूर्व बोया गया शिक्षा का पौधा आज बट वृक्ष बन चुका है। जिले में पहला हाई स्कूल खोलने का श्रेय इनको है। उस समय स्कूल न के बरार होते थे। 28 से ज्यादा शिक्षण संस्थान है। इनमें 23 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। अब इनका बेटा सेठ अशोक कुमार कमान संभाले हुए हैं। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को फीस दी जाती है। पढ़ाई के बाद रोजगार के लिए बिना ब्याज के पैसे दिए जाते है। पैसे तब चुकाने होते हैं, जब रोजगार शुरू हो जाए। मुकंद संस्थाओं के महासचिव डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि संस्थान एक हजार विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा भी दे रहे हैं।
डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि 1885 में जन्मे सेठ मुकंद लाल ने 1946 में शिक्षण संस्थान स्थापित किया। उनके बताए रास्ते पर संस्थान चल रहा है। वे कहते थे शिक्षा सबसे बड़ा दान है। किसी को दे सको तो उसे शिक्षा दो। शिक्षित होगा तो अपने साथ समाज का विकास भी करेगा। इसकी धारणा पर आज भी अमल हो रहा है। उनके पास ऐसे बहुत से बच्चे आते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर है। फीस तक के पैसे इनके पास नहीं होते। इन बच्चों की फीस का वहन संस्थान करता है। जब इनकी पढ़ाई पूरी हो जाती है तो रोजगार के लिए मदद करता है। इसके लिए बकायदा पैसों की मदद भी दी जाती है। ब्याज पर पैसा दिया जाता है। ऐसा नहीं होता कि कुछ समय बाद वापस मांग लिया जाए। जब रोजगार चल पड़े। तब संबंधित व्यक्ति को पैसे संस्थान को लौटाने होते हैं। ऐसे जिन विद्यार्थियों की मदद की जाती है उनकी संख्या हजारों का आंकड़ा पार कर रही है। जो बच्चे पढ़ने में अव्वल रहते हैं। उनको छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है। इसका मकसद यही है कि पैसे के अभाव में किसी की पढ़ाई बाधित न हो। समाजसेवा के लिए भी किया जाता है प्रेरित
संस्थान में पढ़ाई के साथ समाजसेवा का पाठ भी पढ़ाया जाता है। अध्यापकों की ओर से विद्यार्थियों को बताया जाता है कि समाज सेवा से कभी जी न चुराए। जब भी मौका मिले आगे बढ़कर भाग लें। इसके लिए शिविर का आयोजन होता है। संयुक्त रूप से काम करने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। रक्तदान के लिए भी बताया जाता है। संस्था आगे रहती है। बिजली बचाने के लिए अलग से लेक्चरर दिया जाता।
जल संरक्षण का देते हैं संदेश
मुकंद शिक्षण संस्थान की ओर से जल संरक्षण का संदेश विद्यार्थियों को दिया जाता है। जिससे जल बचाने की आदत दिनचर्या में शामिल हो। संस्थान रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम भी अपनी सभी संस्थानों में लगाए हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे रोपित कराए जाते हैं।