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युवा वर्ग नशा छोड़ अपनाएं अध्यात्म का मार्ग : भारती

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। साध्वी सत्या भारती ने कहा कि आज का युवा नशे का गुलाम हो चुका है। यह नशा विष की तरह समाज को खोखला करता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 05:12 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 12:20 AM (IST)
युवा वर्ग नशा छोड़ अपनाएं अध्यात्म का मार्ग : भारती
युवा वर्ग नशा छोड़ अपनाएं अध्यात्म का मार्ग : भारती

जागरण संवाददाता, जगाधरी : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। साध्वी सत्या भारती ने कहा कि आज का युवा नशे का गुलाम हो चुका है। यह नशा विष की तरह समाज को खोखला करता जा रहा है। आज समाज को किसी भी नशे ने इतना जख्मी नहीं किया है, जितना शराब ने। इसने ज्यादा रक्तपात कराया है। ज्यादा घर बिकवाए है। ज्यादा लोगों को कंगाली की राह पर लाकर खडा कर दिया है। ज्यादा खलनायकों के हाथों में हथियार थमाए हैं। ज्यादा बच्चों की हत्या की है। ज्यादा विवाह बंधन तोड़े है। शराब के प्रभाव को महान विद्वान क्रेमर ने इस प्रकार अपने शब्दों में व्यक्त किया है। मैं आग हूं। मैं भस्म करती हूं। नाश करती हूं। मेरी ज्वाला अचानक धधक उठती है। सर्वस्व को भस्म करना शुरू कर देती है। मैं अग्नि का समुद्र हूं। अग्नि जो जलकर भी कभी शांत नहीं होती है। यही है शराब का असली रूप। कोई भी नशा विनाश का मार्ग है। जीवन के नाश का छोटा सा मार्ग है। श्रीमदभागवत महापुराण में भी आता है। कि जब कलियुग ने राजा परीक्षित से रहने के लिए चार स्थानों की मांग की थी तो उनमें से एक था शराब का सेवन। अर्थात जहां पर

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शराब होगी वहां कलियुग के अन्य लक्षण पाप व दुष्कर्म स्वयं ही आ जाएंगे। हम देखते भी है कि शराबी व्यक्ति ने ही अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म किया। अत: अगर समाज को हमने बचाना है। तो हमें स्वयं के असली रूप को जानना होगा। जो कि उस परमात्मा के अंश होने के कारण प्रकाश रूप ही है। और हमे प्रकाश का दर्शन पूर्ण संत की शरण के द्वारा उस दिव्य नेत्र के प्रकटीकरण के कारण होता है। जैसा अर्जुन के साथ हुआ था। अत: हमें भी पूर्ण संत की शरण को ग्रहण कर अपने जीवन के कल्याण के लिए अग्रसर होना होगा। तभी हम सही मानव कहलाने के अधिकारी होंगे।


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