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जेल के उप सहायक अधीक्षक व दो जेल वार्डन की सजा बरकरार, अपील खारिज

जेल से कैदी को भागने में मदद करने के दोषी उप सहायक अधीक्षक राजकुमार व जेल वार्डन राधेश्याम व कृष्णचंद को कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमरिद्र शर्मा की कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी है। अब उन्हें निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा भुगतनी पड़ेगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 01:20 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 01:20 AM (IST)
जेल के उप सहायक अधीक्षक व दो जेल वार्डन की सजा बरकरार, अपील खारिज
जेल के उप सहायक अधीक्षक व दो जेल वार्डन की सजा बरकरार, अपील खारिज

संवाद सहयोगी, जगाधरी : जेल से कैदी को भागने में मदद करने के दोषी उप सहायक अधीक्षक राजकुमार व जेल वार्डन राधेश्याम व कृष्णचंद को कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमरिद्र शर्मा की कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी है। अब उन्हें निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा भुगतनी पड़ेगी। गौरतलब है कि नौ जनवरी 2019 को एसीजेएम गगन मित्तल की कोर्ट ने दोषी राजकुमार, राधेश्याम व कृष्ण चंद को कैदी को भगाने में मदद करने का दोषी करार देते हुए एक साल कैद व दो-दो हजार जुर्माने की सजा सुनाई थी। शहर जगाधरी पुलिस ने 14 अगस्त 2017 को जगाधरी जेल के अधीक्षक आत्मा राम बिश्नोई की शिकायत पर अंबाला के गांव हरडा निवासी उप सहायक अधीक्षक राजकुमार, हिसार के नया गांव निवासी जेल वार्डन राधेश्याम व करनाल के गांव सिद्धपुरा निवासी जेल वार्डन कृष्ण कुमार के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। आरोप था कि इन्होंने जेल में झपटमारी के मामले में पांच साल की सजा काट रहे अंबाला के गुजराती कालोनी निवासी केकी को भगाने में मदद की है। 13 अगस्त 2017 को ब्लाक नंबर चार में लंगर ड्यूटी के लिए वार्डन राधेश्याम को लगाया गया था, जबकि उप सहायक अधीक्षक राजकुमार बतौर इंचार्ज ड्यूटी पर था। कृष्ण चंद को गेट नंबर एक व तीन पर निगरानी के लिए तैनात किया गया था। जीआरपी थाना जगाधरी में 28 जुलाई 2017 को दर्ज झपटमारी के मामले में केकी जेल में पांच साल की सजा काट रहा था। केकी को 13 अगस्त 2017 को जेल में लंगर ड्यूटी पर लगाया हुआ था। जो कि रात को आठ बजे जेल से फरार हो गया था। जांच में सामने आया था कि राजकुमार ने लोहे की पुरानी गैस पाइप को स्टोर में जमा नहीं करवाई थी। उसी पाइप के जरिए बंदी को भागने में मदद मिली। लंगर के दौरान राधेश्याम ने बंदियों पर ठीक से निगरानी नहीं रखी। वहीं कृष्ण चंद भी गेट नंबर एक व तीन से अपनी ड्यूटी छोड़कर इधर-उधर चला गया। जिस कारण बंदी केकी, गेट नंबर तीन के ऊपर चढ़कर भागने में कामयाब हुआ।

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