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बदलते मौसम में बढ़ा स्केबीज का खतरा, हर पांचवां बच्चा आ रहा चपेट में

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बरसात के मौसम में बदलावों के कारण त्वचा रोग सबसे अधिक होता ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 12:44 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 12:44 AM (IST)
बदलते मौसम में बढ़ा स्केबीज का खतरा, हर पांचवां बच्चा आ रहा चपेट में
बदलते मौसम में बढ़ा स्केबीज का खतरा, हर पांचवां बच्चा आ रहा चपेट में

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बरसात के मौसम में बदलावों के कारण त्वचा रोग सबसे अधिक होता है। इन दिनों एलर्जी की बीमारी फैल रही है। सबसे अधिक इसकी चपेट में बच्चे आ रहे हैं। शरीर में खुजली होती रहती है, जो अचानक से बढ़ती है और फुंसियों के रूप में शरीर में फैल जाती है। जिसमें खुजली व जलन होती है। इस बीमारी की चपेट में हर पांचवां बच्चा आ रहा है। जिसकी वजह से त्वचा रोग विशेषज्ञों के पास लोग उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। मौसम में नमी होने की वजह से यह बीमारी जोर पकड़ रही है। चिकित्सकों के मुताबिक बरसात का मौसम शुरू होते ही स्किन के मरीज आने शुरू हो जाते हैं।

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ये हैं पहचान :

खुजली, लाल दाने और जलन जैसी शिकायतें मिलती हैं। इनमें 60 फीसदी मरीज फंगल इंफेक्शन के होते हैं। जबकि 20 फीसदी मरीज स्केबीज के होते हैं। फिलहाल स्केबीज की बीमारी अधिक फैल रही है। बच्चों को यह जल्दी चपेट में लेती है।

स्केबीज छूत की बीमारी है जो एक दूसरे से फैलती है। इन दिनों 50 प्रतिशत लोग व बच्चे इस बीमारी की चपेट में है। त्वचा रोग विशेषज्ञों के पास भी 50 प्रतिशत लोग इसी बीमारी के पहुंच रहे हैं। स्केबीज की यह बीमारी सबसे जल्दी फैलती है। इसमें कपड़े व बिस्तर की शेय¨रग करने वाले को यह रोग हो सकता है। इस रोग में उंगलियों के बीच में शरीर के अंदरूनी हिस्सों और पेट पर दाने निकलने के साथ खुजली होने लगती है। यदि घर में दो या तीन बच्चे हैं, तो वह भी इसकी चपेट में आ जाते हैं, क्योंकि बच्चे अक्सर साथ खेलते हैं और एक जगह की बिस्तर पर लौटते हैं। इससे उनमें यह बीमारी जल्दी फैलती है।

दो माह का समय लगता है ठीक होने में :

बच्चों में यह बीमारी इसलिए अधिक फैल रही है, क्योंकि वह स्कूल में या बाहर खेलते रहते हैं। जिससे उन्हें पसीना आता है। धूल मिट्टी में खेलने की वजह से भी यह दिक्कत आती है। इसके लिए कम से कम दो माह तक नियमित दवाईयां लेनी पड़ती है।

यह सावधानियां हैं जरुरी :

एलर्जी होते ही बच्चों का तुरंत इलाज करवाना चाहिए। बताए गए परहेज पर अमल करना चाहिए।

घर की नियमित सफाई करें। वैक्यूम क्ली¨नग करना अधिक बेहतर होगा। हर दो हफ्ते में घर के पर्दे और एक हफ्ते में बेडशीट को बदलें। कपड़ों को धोते समय उसमें एंटीसेप्टिक की दो बूंद डालना नहीं भूलें। यदि घर मेन रोड पर है तो दरवाजे और खिड़कियों को बंद रखें। खिड़कियों पर शीशे के साथ बारिक जाली लगाएं। इससे कीडे़ मकौड़े भी घर के अंदर नहीं आ पाएंगे।

जिन पौधों में फूल होते हैं उन्हें कमरे के अंदर नहीं रखें। बाल वाले पालतू जानवरों से दूरी रखें। घर में इनके होने पर इन्हें बेडरूम या सोने वाले बिस्तर पर न आने दें।

मच्छर या कीड़े मकौड़ों से बचें ताकि स्किन खराब न हो।

कोट्स :

स्केबीज त्वचा रोग है। इन दिनों बच्चों में सबसे अधिक यही बीमारी आ रही है। इसमें हर समय शरीर में एलर्जी बनी रहती है। इसके लिए जरुरी है कि चिकित्सक से इलाज शुरू कराएं। यदि परिवार में कोई अन्य बच्चा भी है, तो उसे भी दवाईयां दिलवाएं, क्योंकि यह बीमारी तेजी से फैलती है। हर चौथा बच्चा उनके पास इस बीमारी से पीड़ित आ रहा है।

डॉ. संजीव शर्मा, चिकित्सक ।


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