भितरघात के बाद अशोक तंवर के इस्तीफे ने बढ़ाई कांग्रेस प्रत्याशियों की मुसीबत
एक ओर जहां विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर के इस्तीफे के बाद जिला में सियासत पहले से ज्यादा गरमा गई है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : एक ओर जहां विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर के इस्तीफे के बाद जिला में सियासत पहले से ज्यादा गरमा गई है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। तंवर के इस्तीफे के बाद विरोध अब खुलकर होने लगा है। यमुनानगर से कांग्रेस प्रत्याशी को इंटक भवन खोलने के लिए किसी कांग्रेस नेता ने ताले की चाबी तक नहीं दी। जिस भी नेता को उन्होंने फोन किया उसका मोबाइल स्विच ऑफ आया। अशोक तंवर गुट तो दूर की बात है खुद टिकट का बटवारा करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा के खेमे से भी कोई बड़ा नेता मौके पर नहीं पहुंचा।
शुरू हो चुका इस्तीफों का दौर :
टिकट न मिलने से खफा कांग्रेस आइटी सेल के अध्यक्ष सचिन गुप्ता पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अब तंवर के इस्तीफे के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। पार्टी के वरिष्ठ नेता व तंवर खेमे से टिकट की दावेदारी जता चुके सतीश दताना ने भी तंवर के इस्तीफे को सही बताया। उनका कहना है कि अशोक तंवर ने कांग्रेस का सच्चा सिपाही बनकर सेवा की है। कुछ नेता शीर्ष नेतृत्व को गुमराह कर पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसी बात से आहत होकर उन्होंने मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। उनके इस्तीफे से पार्टी को बेहद नुकसान होगा।
गुप्ता ने इसलिए दिया इस्तीफा
रादौर विधानसभा सीट से तंवर समर्थक सचिन गुप्ता को भी टिकट की आस थी, लेकिन इस सीट पर पूर्व विधायक डॉ. बीएल सैनी को टिकट दे दी गई। पार्टी का ये निर्णय सचिन को रास नहीं आया। उन्होंने कर्मठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी करार देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। जिला परिषद सदस्य राजेश कटारिया भी अपने सभी पदों से इस्तीफा देकर साढौरा से आजाद प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक चुके हैं।
एक दिन पहले राणा ने दिया इस्तीफा
रादौर विधानसभा सीट से टिकट कनफर्म होते ही जिले की राजनीति में भूचाल आ गया। एक दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तंवर गुट से संबंध रखने वाले भूपेंद्र राणा ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्होंने यह कहा था कि वह पार्टी के कार्यकर्ता बनकर सेवा करेंगे, लेकिन उनके इस निर्णय से क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं हैं।