यमुना नहर में गिर रहा नाले का पानी
शहर से गुजर रही पश्चिमी यमुना नहर में नगर निगम के एक दर्जन से ज्यादा गंदे पानी के नाले गिर रहे हैं। शहर का गंदा व केमिकल युक्त पानी सीधे यमुना नहर में गिर रहा है, जबकि नियमानुसार गंदा नाला नहर या नदी में नहीं गिराया जा सकता। अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। ज्ञात हो कि इसी पानी को दिल्ली के लोग पीते हैं। कई स्थानों पर यही पानी फसलों को सींचने के काम भी आता है। हालांकि नवंबर- 2016 में मुख्यमंत्री इन नालों को एसटीपी तक पहुंचाने की योजना की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन आज तक योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। आजाद नगर व हमीदा कॉलोनी से भी कई नाले नहर में गिर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
शहर से गुजर रही पश्चिमी यमुना नहर में नगर निगम के एक दर्जन से ज्यादा गंदे पानी के नाले गिर रहे हैं। शहर का गंदा व केमिकल युक्त पानी सीधे यमुना नहर में गिर रहा है, जबकि नियमानुसार गंदा नाला नहर या नदी में नहीं गिराया जा सकता। अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। ज्ञात हो कि इसी पानी को दिल्ली के लोग पीते हैं। कई स्थानों पर यही पानी फसलों को सींचने के काम भी आता है। हालांकि नवंबर- 2016 में मुख्यमंत्री इन नालों को एसटीपी तक पहुंचाने की योजना की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन आज तक योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। आजाद नगर व हमीदा कॉलोनी से भी कई नाले नहर में गिर रहे हैं।
भू जल को भी कर रहा प्रदूषित
पश्चिमी यमुना नहर में गिरता दूषित पानी नहर के साथ-साथ भूजल को भी प्रदूषित कर रहा है। आसपास के इलाके में खारा व प्रदूषित पानी निकलने का सबसे बड़ा कारण यह भी है। विशेषज्ञों की माने तो नहर में जब भी पानी कम हो जाता है तो नहर की घाटी में नालों का प्रदूषित पानी बहता है। उधर, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकल रहा जल शुद्ध होगा, इसकी भी गारंटी नहीं है। क्योंकि यमुना शुद्धिकरण के लिए बनाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ही ट्रीट होकर निकले पानी के सैंपल पूर्व में फेल भी आ चुके हैं।
यह प्रयास भी नाकाम
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तीर्थनगर में लगाया हुआ है। जिसकी क्षमता 10 एमएलडी है और दूसरा कैंप में जिसकी क्षमता 25 एमएलडी है, जबकि प्रतिदिन 100 एमएलडी डिस्चार्ज हो रहा है। यमुनानगर- जगाधरी से हो रहे डिस्चार्ज को देखते हुए इनकी क्षमता बढ़ाए जाने की जरूरत है। दूसरा, रिएक्टर पुराने हैं, जिन्हें आधुनिक करना जरूरी है। कई-कई दिन तक मशीनरी भी खराब रहती है। ऐसी स्थिति में दूषित जल सीधे तौर पर नदियों में गिर रहा है जिसके चलते न केवल जलीय जीवों का जीवन संकट में है बल्कि भू-जल में भी जहर घुल रहा है। इनकी क्षमता बढ़ाए जाने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुआ।
आस्था को भी ठेस
करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक पवित्र यमुना नदी पहाड़ों से निर्मल जल के साथ यमुनानगर जिला से मैदानों में प्रवेश करती है। हिमाचल के पौंटा साहिब से जिले के कलेसर क्षेत्र में प्रवेश करते समय इसका जल स्वच्छ व निर्मल है, हथनीकुंड बैराज से यमुना जैसे-जैसे आगे बढ़ती जाती है, इसमें भी प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जाती है। दिल्ली तक सैकड़ों गंदे नाले यमुना नहर में गिर रहे हैं।
ऐसा हो तो बेहतर
विशेषज्ञों के मुताबिक केमिकल युक्त पानी को रिसाइकिल करना जरूरी है। इसके अलावा सभी इकाइयों में रिसाइकिल प्लांट लगाए जाएं और जीरो डिस्चार्ज पॉलिसी को पूरी तरह लागू किया जाए। अन्य देशों में डिस्चार्ज पॉलिसी को सख्ती से लागू किया हुआ है, लेकिन भारत वर्ष में प्रमुख नदियों के प्रदूषित होने के बावजूद यह पॉलिसी लागू नहीं की जा रही है। नदियों का अस्तित्व यदि बचाना है तो रिसाइक¨लग पॉलिसी को लागू करना ही होगा।
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एसटीपी की क्षमता को बढ़ाए जाने की योजना पर काम चल रहा है। शहर के नालों को एसटीपी में डाइवर्ट करने का काम नगर निगम की ओर से किया जाना है।
अर¨वद रोहिला, एक्सइएन, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग।