सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं मान रहा स्वास्थ्य विभाग, पांच वर्ष से रुकी पदोन्नति
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने शारीरिक रूप
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने शारीरिक रूप से अक्षम कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं दी। निचले स्तर पर अधिकारियों इस अनदेखी से कर्मचारियों की पदोन्नति रुक गई। हरियाणा में ऐसे कर्मचारियों की संख्या करीब 200 है। इनमें 35 डॉक्टर हैं। हालांकि अन्य विभागों ने इसे तत्परता से लागू किया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक लटकाया हुआ है। विभाग यदि इस निर्णय को लागू करती है तो कई एमओ को एसएमओ का दर्जा मिल सकेगा। दूसरी ओर उच्चाधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। यह था मामला
वर्ष-2013 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। इसके तहत शारीरिक रूप से अक्षम सेवारत कर्मचारियों को पदोन्नति में तीन फीसद का कोटा आवंटित किया था। यह सभी के लिए समानता की चल रही प्रक्रिया में किया गया था। इसी संबंध में हरियाणा सरकार ने भी 1996 से शुरू होने वाले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू करने के लिए आदेश दे दिए थे। स्पष्ट किया गया था कि सभी कर्मचारी जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं, विभिन्न पदोन्नति मानदंडों में लाभान्वित हो सकते हैं। इन विभागों लिया संज्ञान
आबकारी और कराधान, शिक्षा, पंचायत और विकास के साथ विभिन्न विभागों ने पहले ही अपने शारीरिक रूप से अक्षम कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में तीन फीसद आरक्षण का लाभ प्रदान करना शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग में अभी तक इस निर्णय को लागू नहीं किया गया। हालांकि इस श्रेणी में आए कर्मचारियों ने कई बार आवाज उठाई, लेकिन इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। विभाग के उच्चाधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस कारण कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है। ऐसे कर्मचारियों से संबंधित केस मंगाए गए हैं। जल्दी ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को भी पदोन्नति का लाभ मिलेगा। इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
कुलदीप ¨सह, सिविल सर्जन, यमुनानगर।