जल संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश कर रही सुनीता
जल व पर्यावरण संरक्षण सिर्फ कहने से ही नहीं इसके लिए धरातल पर काम जरूरी है। ललक व इच्छा से ये संभव भी है। ये कर दिखाया है छछरौली की सुनीता वर्मा ने। चार साल पहले इंदौर रिश्तेदारी में जाना हुआ। यहा पानी की किल्लत और लोगों का सद्पयोग का तरीका देखा। पेयजल की सप्लाई इंदौर में सप्ताह में एक बार होती है।
पोपीन पंवार, यमुनानगर
जल व पर्यावरण संरक्षण सिर्फ कहने से ही नहीं इसके लिए धरातल पर काम जरूरी है। ललक व इच्छा से ये संभव भी है। ये कर दिखाया है छछरौली की सुनीता वर्मा ने। चार साल पहले इंदौर रिश्तेदारी में जाना हुआ। यहा पानी की किल्लत और लोगों का सद्पयोग का तरीका देखा। पेयजल की सप्लाई इंदौर में सप्ताह में एक बार होती है। मापतोल कर मिलने वाली पानी को यहा के लोग एक सप्ताह तक प्रयोग में लाते हैं। वहा से लौटने पर यहा बेकार में बहते पानी को बचाने का खुद ही संकल्प लिया। बरसाती पानी को संरक्षित कर बागवानी तैयार की और दूसरों को इस प्रयास से जोड़ लिया।
सुनीता वर्मा कैंब्रिज पब्लिक स्कूल छछरौली की प्रिंसिपल हैं। स्कूल व घर परिसर में बरसाती पानी स्टॉक करने के लिए टैंक बनाया है। टैंक से अधिक पानी होने पर उसको रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम में छोड़ देती हैं। टुल्लू पंप लगा वर्षा के पानी से सिंचाई करती हैं। जहा टैब खुली दिखती है उसको बंद कराती हैं। जिस पर टैब नहीं उस पर अपने पैसे से टैब लगाती है। वे संदेश देती हैं कि जल है तो कल है।
कई परिवारों ने किया अनुसरण
सुनीता बच्चों को भी जल बचाओ और पर्यावरण संरक्षण के बारे में किताब से अलग प्रेक्टिकल ज्ञान देती हैं। कई बच्चों के परिजनों ने उनके इस प्रयास को अडोप्ट कर लिया है। बरसात का पानी बचाकर वे भी पौधों की सिंचाई करते हैं।
ये लगाए हैं पौधे
चिकू, आम, अमरूद, हल्दी, गुडहल, पान, पीपल, बरगद, चमेली, चंपा, मोगरा, स्पाइडर प्लाट, कलेक्टर, तोरी, घिया, कद्दू के अलावा औषधीय पौधे इनकी बागवानी में लहलहा रहे हैं।