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श्रीमद्भागवत कथा में सुनाया रुक्मिणी विवाह का प्रसंग

श्री सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन रुक्मिणी विवाह महोत्सव का प्रसंग आचार्य जयप्रकाश ने सुनाया। उन्होंने कहा जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति है। यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 07:40 AM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 07:40 AM (IST)
श्रीमद्भागवत कथा में सुनाया रुक्मिणी विवाह का प्रसंग
श्रीमद्भागवत कथा में सुनाया रुक्मिणी विवाह का प्रसंग

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : श्री सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में शनिवार को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन रुक्मिणी विवाह महोत्सव का प्रसंग आचार्य जयप्रकाश ने सुनाया। उन्होंने कहा जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति है। यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प दृढ़ एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। रुक्मिणी के भाई रुक्मि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित किया था, लेकिन रुक्मिणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी। शिशुपाल असत्य मार्ग पर चलते थे, द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण सत्य मार्ग पर चलते थे। असत्य को नहीं, सत्य को अपनाएंगी। द्वारकाधीश ने रुक्मिणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया। उन्हें पत्नी के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया। इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन सुखद रहता है। इस पावन प्रसंग के दौरान दान की विशेष महिमा है। इसके साथ महारासलीला, उद्धव चरित्र, श्रीकृष्ण मथुरा गमन प्रसंग भी सुनाया।

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