Move to Jagran APP

आत्म चेतना को जागृत करने का संदेश देती बसंत ऋतु : सत्या भारती

हनुमान गेट स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 07:15 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 07:15 PM (IST)
आत्म चेतना को जागृत करने का संदेश देती बसंत ऋतु : सत्या भारती
आत्म चेतना को जागृत करने का संदेश देती बसंत ऋतु : सत्या भारती

जागरण संवाददाता, जगाधरी : हनुमान गेट स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आश्रम में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सत्या भारती ने जीवन में बसंत ऋतु का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि बसंत ऋतु हमें अपनी बुराइयों का अंत करके आत्म चेतना को जागृत करने का संदेश देती है। श्री कृष्ण भगवान गीता में कहते हैं कि मैं ऋतुओं में ऋतुराज बसंत हूं। आज हम प्रत्येक वर्ष वसंत पंचमी मनाते हैं। इस पर्व को पंचमी और विद्या जयंती भी कहा जाता है। शास्त्र बताते हैं कि इस दिन ही ब्रह्मा के मुख से विद्या की देवी सरस्वती प्रकट हुई। देवी के प्रकट होते ही संपूर्ण सृष्टि संगीतमय हो गई। ऋग्वेद ने सरस्वती देवी को ज्ञान की सर्वोत्तम प्रतिमूर्ति कहकर संबोधित किया। मां सरस्वती का स्वरूप चतुर्भुजी दर्शाया गया है। इनके हाथों में चार अलंकार शोभा बढ़ाते हैं। यह चारों अलंकार- अक्षमाला, वीणा, पुस्तक तथा वरद मुद्रा प्रत्यक्ष तौर पर विद्या के ही साधन हैं। सरस्वती मां श्वेत वस्त्र पहने हुए श्वेत हंस पर विराजमान हैं। अक्षमाला हमें निरंतर अभ्यास रत रहने का, वीणा अपने जीवन में दिव्य गुणों को धारण करके सुरमई बनाने का, पुस्तक हमें विद्या अर्जित करने का और वरद मुद्रा में उठा हुआ हस्त हमें दिव्य गुणवती विद्या का ही आशीष देता है। मां के श्वेत वस्त्र प्रकाशित बुद्धि का प्रतीक हैं और श्वेत हंस हमारे भीतर नीर- क्षीर विवेक जागृत करने के लिए प्रेरित करता है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती प्रकट हुई, उनके प्रकट होने होते ही प्रकृति ने अपनी उग्रता छोड़ दी। पवन शीतल बनकर सबको अपने सौम्य स्पर्श से सहलाने लगी। इस प्रकरण में कितना दिव्य संदेश छिपा है जो हमें समझाता है कि जब हमारे भीतर विद्या जागृत हो जाती है तो हमारी प्रकृति और प्रवृत्ति सौम्य हो जानी चाहिए। विद्या केवल मस्तिष्क को नहीं जगाती अपितु हमारी चेतना में दिव्य परिवर्तन लाती है, कितु आज की विद्या हमारे जीवन में केवल धन कमाने का साधन बनकर रह गई है जिसके परिणाम स्वरूप आज हमें अपना पढ़ा-लिखा वर्ग भी क्रोधी, अहंकारी, स्वार्थी व उन्मादी न•ार आ रहा है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.