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19 स्कूलों की मरम्मत पर खर्च कर दिए 60 लाख, जांच अधिकारी भी रह गए हैरान

अभिभावकों से ज्यादा फीस वार्षिक चार्ज लेने की शिकायत करने के बाद डीईओ की गठित कमेटी ने स्कूलों संचालकों से पूछताछ की। इस दौरान संचालकों ने स्कूलों से संबंधित जो दस्तावेज जमा कराए उनमें कई तरह की खामियां पाई गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 09:00 AM (IST)
19 स्कूलों की मरम्मत पर खर्च कर दिए 60 लाख, जांच अधिकारी भी रह गए हैरान
19 स्कूलों की मरम्मत पर खर्च कर दिए 60 लाख, जांच अधिकारी भी रह गए हैरान

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : अभिभावकों से ज्यादा फीस, वार्षिक चार्ज लेने की शिकायत करने के बाद डीईओ की गठित कमेटी ने स्कूलों संचालकों से पूछताछ की। इस दौरान संचालकों ने स्कूलों से संबंधित जो दस्तावेज जमा कराए, उनमें कई तरह की खामियां पाई गई। स्कूलों ने खर्च दिखाया, उसे देखकर जांच करने वाले अधिकारी भी हैरान रह गए। शुक्रवार को डीईओ कार्यालय में स्प्रिंग डेल्स स्कूल, सेक्रेड हार्ट कान्वेंट स्कूल और श्री कृष्णा पब्लिक स्कूल खजूरी रोड के संचालकों को बुलाया गया था, परंतु संत थॉमस स्कूल और श्रीकृष्णा पब्लिक स्कूल का कोई प्रतिनिधि नहीं आया। जिला शिक्षा अधिकारी जोगिद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि जांच के बाद कार्रवाई की रिपोर्ट कमिश्नर को सौंपी जाएगी। जांच में दो स्कूलों के प्रतिनिधि ही आए।

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जागृति फाउंडेशन ने की थी शिकायत

11 प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ जागृति फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन और अन्य पदाधिकारियों ने 21 मई, 2019 को अंबाला कमिश्नर को शिकायत दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्राइवेट स्कूल बच्चों से बहुत ज्यादा फीस ले रहे हैं। शिक्षा विभाग उनसे हर साल फार्म-छह भरवाता है, परंतु मुनाफे के बावजूद स्कूल हर साल फीस बढ़ा रहे हैं। स्कूलों ने कितनी फीस बढ़ाई, अभिभावकों से कौन-कौन से फंड लिए जा रहे हैं, कितने स्कूलों द्वारा किताबें बेची गई इसकी जांच शिक्षा विभाग का कोई भी अधिकारी नहीं करता। कितनी फीस बढ़ाई गई इसकी लिस्ट नोटिस बोर्ड पर लगानी होती है। कमिश्नर ने तत्कालीन डीईओ को स्कूलों की जांच करने को कहा था, लेकिन वे कमेटी बनाकर जांच करना ही भूल गए। अब जोगिद्र सिंह हुड्डा ने जिले का चार्ज लिया तो उन्होंने कमेटी गठित कर इस जांच को आगे बढ़ाया।

बसों की मरम्मत पर खर्च हुए 60 लाख

फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन ने बताया कि तीन स्कूलों ने जो दस्तावेज सौंपे हैं, उनमें काफी खर्च ऐसा दिखाया गया है, जो मुनासिब ही नहीं है। एक स्कूल ने 19 बसों की सालाना मरम्मत पर 60 लाख रुपये खर्च दिखाया यानी एक बस की मरम्मत पर औसतन 3.15 लाख रुपये खर्च किए गए। इसी स्कूल ने नई बिल्डिग बनाने पर एक करोड़ रुपये खर्च किए तो पुरानी बिल्डिग की मरम्मत पर 52 लाख रुपये खर्च कर दिए। स्कूल के खाते में बैलेंस होने पर भी फीस बढ़ा दी। उन्होंने बताया कि इन स्कूलों से फार्म-छह, तीन साल की बैलेंस शीट व बच्चों से ली जा रही फीस व चार्ज का ब्योरा लिया है। अगले सप्ताह आनंद पब्लिक स्कूल, स्वामी विवेकानंद स्कूल सेक्टर-17 व स्प्रिंग फिल्ड स्कूलों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी।


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