श्रीराम वनवास सुन आयोध्या में पसर गया था सन्नाटा : शशि प्रभा
महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में उपमंडल के गांव बकाना स्थित सामुदायिक केंद्र में चल रही नव दिवसीय श्रीराम अमृत वर्षा कथा में श्री राम बनवास प्रसंग सुनाया गया। महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में उपमंडल के गांव बकाना स्थित सामुदायिक केंद्र में चल रही नव दिवसीय श्रीराम अमृत वर्षा कथा में श्री राम वनवास प्रसंग सुनाया गया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में उपमंडल के गांव बकाना स्थित सामुदायिक केंद्र में चल रही नव दिवसीय श्रीराम अमृत वर्षा कथा में श्री राम बनवास प्रसंग सुनाया गया।
कथा व्यास देवी शशि प्रभा ने बताया कि राजा दशरथ महाराजा रघु के कुल से थे और कुल के ये रीत थी कि अगर एक बार किसी को उन्होंने वचन दे दिया तो अपने दिए वचन को निभाने में चाहे उनके प्राण भी चले जाएं, तब भी वह अपने वचन से पीछे नहीं हटते थे। महाराज दशरथ ने कैकई को तीन वचन दिये थे और कैकई ने उन वचनों को समय आने पर मांगने का वायदा महाराज दशरथ से लिया हुआ था। ऐसे में जब महाराज दशरथ ने जब अपने प्रिय पुत्र श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने की घोषणा की तो चारों और उत्सव जैसा माहौल था। ऐसे में कैकई की दासी मंथरा ने भरत-शत्रुघ्न की माता कैकई के कान भरने शुरू कर दिए कि राज्याभिषेक को आपके पुत्र भरत को होना चाहिए। माता कैकई भी श्रीराम से बहुत स्नेह और प्रेम करती थीं और उन्होंने कहा कि तुम ऐसा क्यों कह रही हो। श्रीराम भी तो मेरे पुत्र के समान ही है और फिर राज्याभिषेक भरत का हो या श्रीराम का एक ही बात है परंतु मंथरा ने अपनी कटूजली बातों के फेर में माता केकैई का फांस लिया और उसे महाराज दशरथ के तीन वचन पूरे करने की याद दिला दी। उन वचनों में भरत के लिए राज्याभिषेक मांगने के साथ-साथ श्रीराम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगने के लिए भी उकसा लिया। केकैई मंथरा की बातों में आ गई और उसने खाना-पीना छोड़ दिया। भगवान श्रीराम, भोले शंकर व अन्य भजनों पर महिलाओं ने नाच गाना भी किया। तालियों की गड़गड़ाहट और संगीत की धुन से तमाम वातावरण भक्तिमयी बना रहा। चारों ओर भक्ति रस बरस रहा था और सभी श्रीराम के जयकारे लगा रहे थे इस मौके पर सुशील दुरेजा, श्याम सुंदर आहुजा, राजन, सेवाराम, रोशन सैनी, रामेश्वर सैनी, कपिल मैहता, ओम प्रकाश आहुजा, प्रीतिलाल, मामचन्द व अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।