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कपालमोचन के खेड़ा मंदिर पर श्राइन बोर्ड ने जताया अपना हक, विरोध में उतरे लोग

कपालमोचन के विभिन्न मंदिरों को अपने अधीन करने के बाद श्राइन बोर्ड अब यहां लोगों द्वारा स्थापित खेड़ा मंदिर को भी अपने अंडर लेने की तैयारी कर रहा है। श्राइन बोर्ड खेड़ा मंदिर पर दानपात्र रखने की तैयारी कर रहा है ताकि यहां चढ़ने वाले दान को सरकार के खजाने में जमा करवा सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 11:34 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 11:34 PM (IST)
कपालमोचन के खेड़ा मंदिर पर श्राइन बोर्ड ने जताया अपना हक, विरोध में उतरे लोग
कपालमोचन के खेड़ा मंदिर पर श्राइन बोर्ड ने जताया अपना हक, विरोध में उतरे लोग

संवाद सहयोगी, बिलासपुर: कपालमोचन के विभिन्न मंदिरों को अपने अधीन करने के बाद श्राइन बोर्ड अब यहां लोगों द्वारा स्थापित खेड़ा मंदिर को भी अपने अंडर लेने की तैयारी कर रहा है। श्राइन बोर्ड खेड़ा मंदिर पर दानपात्र रखने की तैयारी कर रहा है ताकि यहां चढ़ने वाले दान को सरकार के खजाने में जमा करवा सके। श्राइन बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ स्थानीय लोग मैदान में उतर आए हैं। लोगों ने चेतावनी दी है कि चाहे कुछ भी हो जाए वे प्रशासन को खेड़ा मंदिर पर दानपात्र नहीं रखने देंगे।

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ग्रामीणों का कहना है कपालमोचन में श्राइन बोर्ड कपाल मोचन सरोवर के तट पर स्थित काला गऊ बच्छा मंदिर, सफेद गऊ बच्छा मंदिर, महा कपालेश्वर मंदिर, शिव मंदिर, कपालमोचर सरोवर स्थित पांडवों व कृष्ण मंदिर, सूरजकुंड स्थित राधा कृष्ण मंदिर, आदिबद्री मंदिर, केदारनाथ मंदिर पर चढ़ने वाले चढ़ावे व दान को श्राइन बोर्ड अपने पास रखता है। ऋण मोचन सरोवर के नजदीक लोगों ने पूजा करने के लिए खेड़ा मंदिर बनाया हुआ है। सालभर में लोगों द्वारा यहां जो दान किया जाता है उसे मंदिर पर ही खर्च किया जाता है। इस बार प्रशासन खेड़ा मंदिर पर अपना दान पात्र रखना चाहता है। अगर बोर्ड खेड़ा मंदिर पर अपना दान पात्र रखेगा या अपने अधीन लेगा तो इसके लिए उच्च अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

क्षेत्र वासी ज्ञान दास, हरबंस, सहदेव, सुभाष का कहना है कि बोर्ड को सरोवर के समीप स्थित खेड़ा मंदिर तो नजर आ रहा है लेकिन इसके अतिरिक्त ओर भी बड़े धार्मिक स्थल है जिनको छोड़ दिया गया है। बोर्ड को चाहिए कि पहले बड़े धार्मिक स्थलों को अपने अधीन करे। खेड़ा मंदिर में चढ़ने वाले दान को आसपास के क्षेत्र के लोग खेड़ा मंदिर के विकास कार्य व सामूहिक भंडारे पर खर्च कर देते है। इसमें किसी एक निजी व्यक्ति का लाभ नहीं जुड़ा है। वन विभाग ने नहीं काटी झुकी टहनिया :

मेले में पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु व लंगर लगाने वाली संगत ट्रकों व बसों की छतों पर बैठकर आती है कोई भी श्रद्धालु पेड़ों की झुकती टहनियों की चपेट में न आए इसके लिए वन विभाग की ओर से मेले के आयोजन से पूर्व बिलासपुर कपाल मोचन मार्ग, रणजीतपुर मार्ग, साढौरा मार्ग, खिजराबाद मार्ग, जगाधरी मार्ग पर पेड़ों की झुकती टहनियों की कटाई करते थे लेकिन मेले में केवल चार दिन शेष बचे होने के बावजूद अभी तक विभाग ने झुकी टहनियों को नहीं काटा है। सड़कों का कार्य अधर में :

लोक निर्माण विभाग ने मेला क्षेत्र में सड़कों की मरम्मत में केवल खानापूर्ति की है। मेला क्षेत्र में सड़कों का पैचवर्क किया गया उसमें भी घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। जो लगाने के कुछ देर बाद ही उखड़नी शुरू हो गई। इसके साथ जगाधरी से छछरौली आने वाले मार्ग, अहड़वाला, अराइयावाला जाने वाला मार्ग, बिलासपुर से खिजराबाद मार्ग पर सड़क के किनारे धंस रहे बरमों को अभी तक दुरूस्त नहीं किया गया है।


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