खुला दरबार में पुरुषों से ज्यादा पहुंची महिलाएं, कबूतरों ने कर दिए बच्चे बीमार, पढ़ाई भी हो रही बाधित, विरोध पर होती तकरार
ोजपुर पंचायत की दिक्कत दूर करने वाले अधिकारी खुले दरबार व रात्रि ठहराव में खुद ही लेट पहुंचे । पांच बजे शुरू होने वाला खुला दरबार एक घंटा देरी से शुरू हुआ। सर्वप्रथम डीसी ने स्टॉल पर जाकर योजनाओं की जानकारी ली। इसके बाद मंच पर आसीन हुए। तभी शिकायतों का दौर शुरू हो गया। शिकायतों की संख्या बढ़ने पर सरपंच की कुर्सी पीछे कर दी गई। रात को जब डीसी शिकायतें सुन रहे थे तो कई विभागों के अधिकारी पहले ही निकल गए।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : भोजपुर पंचायत की दिक्कत दूर करने वाले अधिकारी खुले दरबार व रात्रि ठहराव में खुद ही लेट
पहुंचे । पांच बजे शुरू होने वाला खुला दरबार एक घंटा देरी से शुरू हुआ। सर्वप्रथम डीसी ने स्टॉल पर जाकर योजनाओं की जानकारी ली। इसके बाद मंच पर आसीन हुए। तभी शिकायतों का दौर शुरू हो गया। शिकायतों की संख्या बढ़ने पर सरपंच की कुर्सी पीछे कर दी गई। रात को जब डीसी शिकायतें सुन रहे थे तो कई विभागों के अधिकारी पहले ही निकल गए। 9 बजे तक पहुंच गई 106 शिकायत
खुले दरबार में शिकायत करने वालों की संख्या काफी तादाद में थी। ऐसा लग रहा था कि हर कोई परेशान है। 9 बजे तक 106 शिकायतें सरकारी रजिस्टर में दर्ज हो गई। कुछ शिकायतें तो अजीब थी। कबूतरों के कारण बच्चे रहते हैं बीमार
दरबार में परवालो निवासी बबीता पड़ोसी के कबूतरों से परेशान होकर पहुंची। डीसी को शिकायत देकर मामले में कार्रवाई की मांग की। बबीता ने बताया कि पड़ोसी शिवराम ने बहुत सारे कबूतर पाल हुए हैं। वन्य जीव अधिनियम के अनुसार अवैध है। कबूतरों कोकैद कर के नहीं रखा जा सकता। कबूतरों की वजह से हमारे घर में परेशानी रहती है। घर में गंदगी करते हैं, जिससे बीमारी फैल रही है। बच्चे बीमार रहते हैं। डाक्टर ने उनको बताया था कि कबूतरों से आने वाली बदबू से संक्रामक रोग फैल रहा है। अगर कबूतर नहीं हटे तो और लोग भी बीमार होंगे। बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते। शिकायत पर पड़ोसी झगड़ा करने लगते हैं। उनका कई दफा झगड़ा हो चुका है। गांव में नशीले पदार्थों की दी शिकायत
शिकायत लेकर पहुंची महिलाओं न बताया कि गांव में नशीले पदार्थों की बिक्री जोरों पर है। इस कारण युवा पीढ़ी नशे में डूब रही है। टूटी पड़ी हैं गालियां
गांव की अधिकतर गलियां टूटी पड़ी हैं। इससे लोगों को चलने में दिक्कत होती है। गड्ढों में पानी जमा रहता है। बरसात के दिनों में राहगीरों को ज्यादा दिक्कत होती है। क्योंकि ये सभी गांव की मुख्य गलियां है। बच्चे गिर जाते हैं। बुजुर्ग लाठी के सहारे भी ठीक से नहीं चल पाते। पानी निकासी की सुविधा नहीं
गांव में पानी निकासी नहीं है। कहने को तीन जोहड़ हैं। इसके बावजूद गली में पानी जमा रहता है। पानी जमा रहने स व्यायामशाला की दीवार टूट गई। प्रशासन इस तरफ ध्यान दे, जिससे पानी निकासी की सुविधा ग्रामीणों को मिले। प्लाट तो मिले रास्ते नहीं
योग्य पात्रों को प्लाट दिए गए, लेकिन रास्ते उनको नहीं मिले। जो रास्ता प्लाट में जाता है। वह ठीक नहीं है। रास्ता ठीक होन के बाद ही वे लेाग प्लाट में जा सकेंगे। रात्रि ठहराव कार्यक्रम के प्रचार की रही कमी
डीसी गिरीश अरोड़ा ने मंच से पूछा कि कितने लोग हैं जो आसपास के गांवों से आए हैं। चार-पांच लोगों ने ही हाथ उठाए। कम हाजिरी बता रही थी कि कार्यक्रम का प्रचार ठीक नहीं हुआ। गांव पर एक नजर
भोजपुर की आबादी : 496
परवालो की : 2581
भोजपुर में नौकरीपेशा : 02 प्रतिशत
परवालो में : 70 प्रतिशत
सामुदायिक केंद्र : कोई नहीं
परवालो में ब्लॉक समिति मैंबर -01
परवालो : ग्राम सचिवालय 01
सरपंच : चंद्रावती
भोजपुर : तीन पंच
परवालो : 8 पंच
कॉमन सर्विस सेंटर : 01
आंगनबाड़ी केंद्र भोजपुर : 01
परवालो : 03