कागज भरने को हो रही रोड सेफ्टी की मीटिग, जिस अधिकारी की ड्यूटी लगाई उसने कुछ नहीं किया
खामियों को दूर करने की बजाय अधिकारी एक बार फिर रोड सेफ्टी की मीटिग में तरह-तरह के बहाने बनाते रहे।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : खामियों को दूर करने की बजाय अधिकारी एक बार फिर रोड सेफ्टी की मीटिग में तरह-तरह के बहाने बनाते रहे। सड़कों के गड्ढों को भरने, कैट आई लगाने, अवैध कटों को बंद करने की गलत रिपोर्ट देने में लगे रहे। पहले की तरह इस बार भी जब वही रिपोर्ट दी गई तो एक अधिकारी की हंसी छूट गई। जबकि वे खुद भूल गए कि लोगों के सुरक्षित सफर की जिम्मेदारी उन पर भी है। हर बार की तरह इस बार भी सड़कों पर अंडरपास बनाने का मामला उठा लेकिन इस पर होगा क्या, कोई फैसला नहीं हो सका। पिछली मीटिग में बताई गई खामियों को दूर करने के लिए क्या एक्शन लिया इसी रिपोर्ट ज्यादातर विभाग लेकर ही नहीं आए। अब तक बंद नहीं हुए अवैध कट :
पीडब्ल्यूडी ने अभी तक शहर से अवैध कटों को बंद नहीं किया है। रादौर रोड पर विश्वकर्मा चौक से जोड़ियां नाका तक दो किलोमीटर लंबे डिवाइडर पर 26 अवैध कट थे। जिन्हें बंद करने के लिए 14 लाख का टेंडर लगाया गया। इसके बावजूद काफी अवैध कटों को खुला छोड़ दिया गया। पीडब्ल्यूडी अधिकारी दबाव में काम कर रहे हैं। जानकारों की सिफारिश पर कट खुले छोड़ दिए गए। ये कट लोगों के लिए हादसों का कारण बन रहे हैं। झूठ बोलते हैं अधिकारी लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं :
दिसंबर माह में हुई रोड सेफ्टी की मीटिग में अधिकारी झूठ बोल कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। नगर निगम ने शहर की सभी स्ट्रीट लाइटों को 20 दिन में ठीक करने की बात कही थी लेकिन ढाई माह से ज्यादा हो गया, हालात वही हैं। आधे से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। शाम होते ही सड़कों पर अंधेरा पसर जाता है। कन्हैया चौक से चाहे जगाधरी बस स्टैंड चौक हो या फिर अंबाला मार्ग। जगाधरी रक्षक विहार नाका से जिला जेल तक 15-20 लाइटों को छोड़ सभी महीनों से बंद पड़ी हैं। निगम के जिस एसडीओ ने लाइटों को ठीक करने का दम भरा था वे इस बार भी मौजूद थे। परंतु किसी ने उनसे एक बार भी नहीं पूछा कि लाइटें अभी तक ठीक क्यों नहीं हुई। ब्लिकंर बंद पड़े लेकिन कोई कार्रवाई नहीं :
रोड सेफ्टी के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। शहर में लगे 90 प्रतिशत ब्लिकर खराब पड़े हैं या टूट चुके हैं। जिन विभागों के अधिकारियों की इन्हें ठीक कराने की जिम्मेदारी है उनसे इस बारे कोई सवाल जवाब नहीं किया जा रहा। शहर की न सड़कें दुरुस्त हैं और न ही ट्रैफिक सिग्नल। ऐसे में रोड सेफ्टी की की बैठक करने के कोई मायने नहीं है। बैठकें केवल कोर्ट के आदेशों की पालना करने के लिए कागजी कार्रवाई पूरी करने को की जा रही हैं। डीसी ने दिए खामियां दूर करने के आदेश :
जिला सड़क सुरक्षा कमेटी एवं सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी कमेटी की मीटिग सचिवालय में डीसी मुकुल कुमार की अध्यक्षता में हुई। इसमें एडीसी प्रतिमा चौधरी, बिलासपुर एसडीएम नवीन आहूजा, डीएसपी प्रदीप राणा, एक्सइएन पीडब्ल्यूडी ऋषि सचदेवा, डीडीपीओ शंकर लाल गोयल, कमेटी के सदस्य एडवोकेट सुशील आर्य, ट्रैफिक एसएचओ ललित सिंह, सीएम सुशासन सहयोगी नमन जैन, आरएसए गगन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे। मुकुल कुमार ने कहा कि दुर्घटना के तुरंत बाद एंबुलेंस व नजदीकी अस्पताल में घायल को प्राथमिक उपचार दिलाया जाए। शुगर मिल, लक्कड़ मंडी, ऑटो स्टैंड व औद्योगिक क्षेत्र में वाहनों पर रिफलेक्टर लगाए जा रहे हैं। सुरक्षित स्कूल वाहन नीति के तहत टाइम टेबल बनाकर स्कूलों में ही स्कूल बसों की चेकिग की जाए।