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डीजल के बढ़े दामों से ट्रांसपोर्टरों पर पड़ा अतिरिक्त बोझ, पेट्रोल की कीमत से बिगड़ा मासिक बजट

पेट्रोलियम पदार्थ के बढ़े दामों का असर लोगों की जेब पर पेट्रोलियम पदार्थ के बढ़े दामों का असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है। वाहन चालक जहां मासिक बजट बिगड़ने की बात कह रहे हैं, वहीं ट्रांसपोर्टर मुंबई, कोलकाता माल ले जाने में 20 हजार रुपये अतिरिक्त भार पड़ने का दुखड़ा रो रहे हैं। सरकार से मांग की है कि डीजल के दाम नियंत्रण में किए जाए, जिससे ट्रांसपोर्टेशन को राहत मिल सके। वाहन चालक गांधी नगर निवासी सुमित वर्मा कहते हैं कि पहले वह बाइक 500 रुपये में 10 दिन तक चलाते थे। अब ऐसा नहीं है। 500 रुपये के तेल में बाइक छह दिन से कम चलती है। पेट्रोल 81 रुपये प्रति लीटर कीमत में मिलता है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। वहीं कार चालक विशाल बख्शी कहते हैं कि वह निजी कंपनी में जॉब करते हैं। हर माह 2 से ढाई हजार रुपये के तेल में आवागमन हो जाता था।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 01:18 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 01:18 AM (IST)
डीजल के बढ़े दामों से ट्रांसपोर्टरों पर पड़ा अतिरिक्त बोझ, पेट्रोल की कीमत से बिगड़ा मासिक बजट
डीजल के बढ़े दामों से ट्रांसपोर्टरों पर पड़ा अतिरिक्त बोझ, पेट्रोल की कीमत से बिगड़ा मासिक बजट

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : पेट्रोलियम पदार्थ के बढ़े दामों का असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है। वाहन चालक जहां मासिक बजट बिगड़ने की बात कह रहे हैं, वहीं ट्रांसपोर्टर मुंबई, कोलकाता माल ले जाने में 20 हजार रुपये अतिरिक्त भार पड़ने का दुखड़ा रो रहे हैं। सरकार से मांग की है कि डीजल के दाम नियंत्रण में किए जाए, जिससे ट्रांसपोर्टेशन को राहत मिल सके।

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वाहन चालक गांधी नगर निवासी सुमित वर्मा कहते हैं कि पहले वह बाइक 500 रुपये में 10 दिन तक चलाते थे। अब ऐसा नहीं है। 500 रुपये के तेल में बाइक छह दिन से कम चलती है। पेट्रोल 81 रुपये प्रति लीटर कीमत में मिलता है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। वहीं कार चालक विशाल बख्शी कहते हैं कि वह निजी कंपनी में जॉब करते हैं। हर माह 2 से ढाई हजार रुपये के तेल में आवागमन हो जाता था। तेल महंगे होने के कारण बजट बढ़कर चार हजार रुपये में पहुंच गया है।

फोटो : 8 जी

ट्रांसपोर्टर गुरबाज सिंह का कहना है कि इस समय डीजल के दाम बहुत ज्यादा हैं। इसका असर कारोबार पर पड़ रहा है। जब डीजल 60 रुपये लीटर था। उस समय मुंबई, कोलकाता में ट्रक 10 से 13 हजार में एक चक्कर लगाता था। यहां तक आने जाने में 1200 लीटर डीजल एक बार का लगता है। जब से दाम 73 रुपये लीटर हुआ है। उक्त स्थानों पर जाने का खर्च सात से आठ हजार रुपये अतिरिक्त हो गया है। प्लाइवुड में जिला विख्यात है। प्लाइ लेकर ट्रक जाते हैं।

फोटो : 8 एफ

ट्रांसपोर्टर सुख¨वद्र संधू कहते हैं कि डीजल की बढ़ी कीमतों से कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जिले में पांच हजार ट्रक हैं। ट्रांसपोर्ट के महंगा होने का असर सीधा असर जनता की जेब पर पड़ता है। जब तक डीजल कम नहीं होगा तब तक कारोबार को राहत नहीं मिलने वाली है। उद्योगों को संजीवनी तभी मिलेगी जब रेट कम होंगे।


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