रसपाल के हत्यारे पुलिस की गिरफ्त से बाहर, सीआइए करेगी अब जांच
हत्या के तीन दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार नहीं कर सकी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
बाल छप्पर गांव की सरपंच सतनाम कौर के पति रसपाल सिंह की हत्या के बाद केस थाना छप्पर से सीआइए- वन का ट्रांसफर हो गया। परंतु हत्या के तीन दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस आरोपितों को अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी। मामले में पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है जिनसे पूछताछ चल रही है, लेकिन हत्यारोपितों का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाया है।
शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद स्वजनों ने रसपाल के शव को लेने से मना कर दिया था। इस बात को लेकर भी मृतक के स्वजनों में गुस्सा था कि यह केस थाना छप्पर से लेकर सीआइए को ट्रांसफर कर दिया गया। आरोप है कि यदि सीआइए सरपंच के घर गोली चलाने के आरोप में पकड़े गए सुखविद्र को नहीं छोड़ती तो यह घटना न होती। उल्लेखनीय है कि सरपंच के घर गोली चलाने के आरोप में सीआइए ने सुखविद्र को पूछताछ के बाद छोड़ दिया था। इसलिए मृतक के स्वजन अब सीआइए से जांच कराने की बजाय एसआइटी बनाने की मांग कर रहे हैं।
वहीं थाना छप्पर पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर भी मृतक के परिजनों में गुस्सा है। हत्या के दिन उन्होंने थाना छप्पर पुलिस पर आरोप लगाया था कि गांव में कई-कई बार गोली चल चुकी है। सरपंच के घर पर गोलियां चलाई जा रही है, लेकिन छप्पर पुलिस सूचना देने पर भी गांव में नहीं आती। न ही गांव में गश्त करने आती है ताकि बदमाशों के मन में पुलिस का खौफ बना रहे। हालांकि जब सरपंच के घर गोली चली थी तब थाना प्रभारी दूसरे थे। इसके बाद थाना प्रभारी व अन्य स्टाफ भी बदल चुका है।
केस सीआइए के पास है : सतपाल
थाना छप्पर प्रभारी सतपाल का कहना है कि रसपाल की हत्या में दर्ज केस अब सीआइए वन को ट्रांसफर हो चुका है। वह ही इस बारे में ज्यादा बता सकते हैं। जांच चल रही है : राकेश मटोरिया
सीआइए-वन इंचार्ज राकेश मटोरिया का कहना है कि इस केस में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
ये था मामला :
बाल छप्पर निवासी रसपाल सिंह कोऑपरेटिव सोसाइटी पाबनी में कैशियर पद पर नौकरी करता था। उनकी पत्नी सतनाम कौर गांव की सरपंच है। 22 मई को रसपाल सिंह अपने पिता जगदीश के साथ युवाओं की प्रेक्टिस के लिए बनने वाले ट्रैक के लिए जमीन देखने आया था। आरोप है कि वहां पर गांव का ही भगत सिंह व उसका पोता वीरेंद्र सिंह वहां आ गए। सुखविद्र उर्फ सुक्खी और दो अन्य आरोपित भी वहां बाइक पर आ गए। भगत सिंह और सुखविद्र सिंह ने गोलियों से रसपाल सिंह को भून कर मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सुखविद्र, उसका चचेरा भाई वीरेंद्र व उनके दादा भगत राम समेत अन्य पर हत्या समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था। परंतु ये अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं।