श्रीराम के राजतिलक के साथ हुआ रामलीला का समापन
श्रीराम कला मंदिर करेड़ा खुर्द की स्वर्णिम 50वीं रामलीला का कुंभकर्ण-मेघनाद -रावण वध के शौर्यपूर्ण प्रसंगों और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के राजतिलक के साथ ही समापन हो गया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
श्रीराम कला मंदिर करेड़ा खुर्द की स्वर्णिम 50वीं रामलीला का कुंभकर्ण-मेघनाद -रावण वध के शौर्यपूर्ण प्रसंगों और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के राजतिलक के साथ ही समापन हो गया। नारायणावतार श्रीराम, शेषावतार लक्ष्मण व रुद्रावतार केसरीसुत हनुमान की मनभावन, प्रेरक व प्रेमभरी लीलाओं के साक्षात दर्शन करके श्रद्धालु भक्तिलीन होकर जयघोष लगाते रहे। अंतिम मंचन में लीलाप्रेमी जमकर उमड़े। क्लब प्रधान अशोक मानिकटाहला और चीफ एडवाइजर अनिल शर्मा ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि रावण बुराई का प्रतीक है। लंकेश का वध तभी होगा जब हम अपने भीतर मौजूद समस्त अवगुणों व बुराइयों को समाप्त करेंगे।
मंचन की शुरूआत से पूर्व परंपरागत आरती हुई। इसके बाद श्रीराम की राममय झांकी पेश की गई। आज के मंचन में पहला ²श्य लंकापति के दरबार से शुरू हुआ जो रामदल में यति लक्ष्मण के पुनर्जीवित होने का समाचार पाकर व्याकुल नजर आया। इस समाचार को पाने के बाद लंकेश अपने पराक्रमी अनुज कुंभकर्ण के शयन कक्ष में पहुंचा जिसे बमुश्किल जगाते हुए समस्त वृत्तांत से अवगत कराया गया। प्रभु श्रीराम से बैर लेने के लिए कुंभकर्ण ने रावण को जमकर खरी-खोटी सुनाई लेकिन अंतत: अपने भाई का साथ देने और वीरगति प्राप्त करने के उद्देश्य से समरभूमि की ओर कूच कर गया। युद्धभूमि में कुंभकर्ण का मुकाबला श्रीराम से हुआ। अपने महापराक्रमी भाई कुंभकर्ण के संहार का समाचार पाकर क्रोधित और आहत हुए लंकेश ने अपने बलशाली पुत्र मेघनाद को रणभूमि में जाने का आदेश दिया जो भारी विध्वंस मचाने के उपरांत आदिशेष के हाथों वीरगति को प्राप्त हुआ।