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इनोवेशन अवार्ड से नवाजे गए प्राध्यापक विशाल धमीजा

खेत में काम कर रहे मजदूर के बच्चों को पुस्तक देने के आइडिया ने इनोवेशन अवार्ड में चयनित कर दिया। कस्बे के प्राध्यापक विशाल धमीजा को टीचर इनोवेशन अवार्ड से नवाजा गया। प्राध्यापक विशाल धमीजा को श्री ओरबिदो सोसाइटी द्वारा शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार के तहत इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 08:30 AM (IST)
इनोवेशन अवार्ड से नवाजे गए प्राध्यापक विशाल धमीजा
इनोवेशन अवार्ड से नवाजे गए प्राध्यापक विशाल धमीजा

संवाद सहयोगी, बिलासपुर : खेत में काम कर रहे मजदूर के बच्चों को पुस्तक देने के आइडिया ने इनोवेशन अवार्ड में चयनित कर दिया। कस्बे के प्राध्यापक विशाल धमीजा को टीचर इनोवेशन अवार्ड से नवाजा गया। प्राध्यापक विशाल धमीजा को श्री ओरबिदो सोसाइटी द्वारा शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार के तहत इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। सोसाइटी की ओर से कार्यक्रम में विशाल को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। टीचर एनोवेश अवार्ड की खबर लगते ही विशाल धमीजा के घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। विशाल धमीजा ने बताया कि सोसाइटी द्वारा देश भर से हजारों प्राध्यापकों व अध्यापकों से सभी विषयों को लेकर शून्य निवेश नवाचर के लिए आवेदन लिए गए थे। जिसमें अध्यापक को शून्य निवेश कर अध्यापन कार्य को प्रभावशाील व सभी बच्चों की पहुंच तक लाना था। सोसाइटी की ओर से विशाल धमीजा के बुक बंडल के आइडिया को बहुत सराहा गया है। सोसाइटी की ओर से विशाल धमीजा को प्रशिस्त पत्र देकर सम्मानित किया गया। भविष्य में विशाल के आइडिया को लागू करने का आश्वासन भी दिया गया। सोसाइटी के चीफ ओपरेशनबल अधिकारी मयंक अग्रवाल की ओर से सम्मानित किया। इसका सारा श्रेय उनके माता पिता को जाता है, जिन्होंने हर समय पर जगह साथ देकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। विशाल के पिता सतीश धमीजा ने बताया कि विशाल को स्कूल कें पढ़ते समय से ही नए आइडिया के साथ शिक्षण कार्य करना, बच्चों को टयूशन करवाना, विषयों को लेकर गहनता से अध्यन्न करना सहित अनेक नए सरचनात्मक कार्य करने में बहुत लगाव था। वह परीक्षाओं की तैयारी के साथ साथ अन्य शिक्षण विधियों की तैयारी भी साथ साथ करता था। विशाल की मेहनत लगन के फलस्वरूप ही वह आज इस मुकाम पर पहुंच पाया है। इससे पूर्व विशाल को एमवीएलके द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा रतन अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। विशाल धमीजा इस समय एमआर इंटरनेशनल स्कूल बिलासपुर में फिजिक्स के विषय के प्राध्यापक है। उनके खेत में एक मजदूर काम करता है। अपने माता पिता से विचार विमर्श

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के पश्चात बुक बंडल का आइडिया उनके दिमाग में आया। बुक बंडल के आइडिया ने प्रभावित किया विशाल धमीजा ने बताया कि सोसाइटी के द्वारा जीरो निवेश नवाचार कार्यक्रम के तहत बिना किसी निवेश के बच्चों को प्रभावशाली शिक्षण कार्य करवाना के आइडिया को लेकर उन्होंने बुक बंडल के नाम से अपना आइडिया भेजा । बुक बंडल में एक कक्षा पास करने वाला छात्र अगली कक्षा में प्रवेश करने से पूर्व अपनी सारी पाठ्य पुस्तक विद्यालय में जमा करवाएंगे, जिसका प्रयोग उस कक्षा में नए प्रवेश कर रहे छात्र कर सकेंगे। इससे अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षण कार्य करवाने में अधिक व्यय नही करना पड़ेगा। एक बार पाठ्य पुस्तकों पर निवेश कई वर्षाें तक बच्चों को लाभ देता रहेगा। इस आइडिया को सोसाइटी के द्वारा बहुत सराहा गया। इसी के आधार पर इनोवेशन अवार्ड के लिए चुना गया।


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