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शब्द कीर्तन से गुरु की महिमा का गुणगान

दशमेश गुरु गो¨बद ¨सह के प्रकाश पर्व पर पहली पातशाही गुरु घर कपालमोचन में रविवार को शब्द कीर्तन व भड़ारा आयोजित किया। गुरु घर व दिवान साहिब को सजाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 10:24 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 10:24 PM (IST)
शब्द कीर्तन से गुरु की महिमा का गुणगान
शब्द कीर्तन से गुरु की महिमा का गुणगान

संवाद सहयोगी, बिलासपुर: दशमेश गुरु गो¨बद ¨सह के प्रकाश पर्व पर पहली पातशाही गुरु घर कपालमोचन में रविवार को शब्द कीर्तन व भड़ारा आयोजित किया। गुरु घर व दिवान साहिब को सजाया गया। सरपंच चंद्रमोहन कटारिया ने मुख्य रूप से शिरकत की। गुरुद्वारा कमेटी ने मुख्यातिथि को शिरोंपा भेंट कर सम्मानित किया। शिवालिक हाई स्कूल की छात्राओं व रागी दाढ़ी जत्थों ने शब्द कीर्तन से संगत को निहाल किया। तीन दिन से रखे गए पाठ का भोग डाला गया। चंद्रमोहन कटारिया, पंकुश खुराना, एसजीपी के पूर्व प्रधान बलदेव ¨सह कायमपुरी व प्रबंधक नरेंद्र ¨सह ने इस कहा कि गुरू गो¨वद ¨सह सिख धर्म के आखिरी व 10 वें गुरु थे। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए पंच प्यारे बनाए। सिखों में वीरता व पवित्रता लाते हुए शक्ति का पाठ पढ़ाया। कच्छा, कड़ा, कृपाण, कंघा व केश रखने के आदेश दिए। गुरु गो¨वद ¨सह के गुरु गद्दी संभालने के समय देश की दशा बड़ी दयनीय थी। बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। महिलाओं का शोषण किया जाता था। जात, पात, बाल विवाह जैसे अनेक धार्मिक आडंबरों में देश डूबा हुआ था। बिखराव व निराशा को दूर करने के लिए गुरु गो¨वद ¨सह ने ¨चतन किया। सिखों में एकता पैदा करने के लिए उन्होंने बैशाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु गो¨वद ¨सह ने खालसा को अपने नाम के अंत में ¨सह शब्द लगाने का विधान किया। खालसा पंथ की स्थापना के करीब आठ वर्ष बाद गुरू गो¨वद ¨सह का निधन हो गया। इसके बाद खालसा का नेतृत्व बंदा बहादुर ¨सह ने संभाला। आंनद साहिब खालसा पंथ की जन्म स्थली है। एसजीपीसी सिख धर्म के प्रचार, प्रसार सहित शिक्षा व धर्म क्षेत्र में भी अग्रणी कार्य करती है। इस अवसर पर भूपेंद्र सोढ़ी, गुरमीत कौर सोढ़ी, आरती, तानिया, प्रगट, प्रियंका, तृप्ति, सरनजीत ¨सह आदि उपस्थित थे।

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