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ठंड बढ़ने के साथ चढ़ रहा सियासी पारा, तर तरफ चर्चा चुनाव की

मौसम में ठंडक बढ़ रही है। सियासी माहौल भी गर्मा रहा है। शहर के चौक-चौराहों से लेकर गांव की गलियों तक चर्चा केवल चुनाव की हैं। चार लोग जहां भी बैठते चर्चा शुरू कर देते हैं। अन्य सभी बातों को भूलकर बस प्रत्याशियों की जीत-हार पर चर्चा हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 08:40 AM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 06:32 AM (IST)
ठंड बढ़ने के साथ चढ़ रहा सियासी पारा, तर तरफ चर्चा चुनाव की
ठंड बढ़ने के साथ चढ़ रहा सियासी पारा, तर तरफ चर्चा चुनाव की

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मौसम में ठंडक बढ़ रही है। सियासी माहौल भी गर्मा रहा है। शहर के चौक-चौराहों से लेकर गांव की गलियों तक चर्चा केवल चुनाव की हैं। चार लोग जहां भी बैठते, चर्चा शुरू कर देते हैं। अन्य सभी बातों को भूलकर बस प्रत्याशियों की जीत-हार पर चर्चा हो रही है। कोई किसी नेता की खूबियां गिना रहा है तो किसी की जुबां पर कमियां आ रही हैं। चुनावी माहौल को भांपने के लिए जागरण संवाददाता ने यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र के गधौली गांव की ओर रुख किया। यहां चौपाल पर बैठे ग्रामीण अपनी बातों में मशगूल थे। यहां माहौल काफी चुनावी रंग में रंगा मिला। इनसेट

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बस चुनाव में याद आती जनता

ग्रामीण धर्मपाल, गोपाल, रामफल व रामकुमार का कहना है कि बस चुनाव के दिनों में ही नेताओं को जनता की याद आती है। जब जीतकर सत्ता में बैठ जाते हैं तो आम आदमी को पहचानना भी मुनासिब नहीं समझते। ऐसा व्यवहार करते हैं मानों कभी बात ही न हुई हो, लेकिन सभी नेता भी ऐसे नहीं है। कुछ नेता अपने कार्यकर्ताओं को कभी नहीं भूलते। 10 वर्ष बाद भी मिलें तो अपनापन जताते हैं। सही मायने में नेता को ऐसा ही होना चाहिए। जनता की भावनाओं को समझना चाहिए। इनसेट

ग्रामीण अरुण कुमार, आदित्य व सुमित का कहना है कि मतदाता को अपने विवेक के आधार पर मतदान करना चाहिए। हर पहलु पर सोच विचार करके ही अपने मत का प्रयोग करना चाहिए। प्रत्याशी किसी भी बिरादरी का हो, बस काम करने वाला होना चाहिए। अब वे दिन लद गए, जब बहकावे में आकर मतदान कर देते थे। हमें ऐसे ही नेता को चुनना चाहिए, जिसकी सोच सकारात्मक हो। हर वर्ग के हित की बात करने वाला हो। इनसेट

ग्रामीणों का कहना है कि जनता की वोट से ही नेता कुर्सी तक पहुंचता है। इसलिए नेता के लिए जन भावनाओं की कदर करना जरूरी है। यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो जनता कब तक साथ देगी। एक समय आएगा जब जनता भी अपना फैसला सुनाकर नेता को नकार देगी। जनता के पास तो वोट रूपी हथियार है। इसी का प्रयोग कर जनता अपनी अनदेखी का बदला लेती है।


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