महिला से झपटमारी की फर्जी जांच पर फंसी पुलिस, कोर्ट ने दिए एफआइआर के आदेश
महिला से झपटमारी के मामले में फर्जी इंवेस्टीगेशन करने पर पुलिस फंस गई है। एडीजे विजयंत सहगल कोर्ट ने आरोपित अंबाला के शुभम को बरी कर दिया। साथ ही इस केस की जांच करने वाले पुलिसकर्मियों पर एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
संवाद सहयोगी, जगाधरी : महिला से झपटमारी के मामले में फर्जी इंवेस्टीगेशन करने पर पुलिस फंस गई है। एडीजे विजयंत सहगल कोर्ट ने आरोपित अंबाला के शुभम को बरी कर दिया। साथ ही इस केस की जांच करने वाले पुलिसकर्मियों पर एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक केस का भी हवाला दिया। अपने आदेशों में कोर्ट ने कहा है कि पुलिस अधिकारियों ने आरोपितों पर झूठा केस बनाया और फर्जी रिपोर्ट तैयार की। एडवोकेट के मुताबिक शुभम को उस जगह का पता भी नहीं है। जहां वारदात हुई। जबकि जांच अधिकारी ने डिस्कलोजर रिपोर्ट में शुभम की ओर से शिनाख्त करने की बात कही है। जिससे साबित होता है कि यह फर्जी इंवेस्टीगेशन हुई है। ऐसे पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। यह था मामला
13 फरवरी 2018 को इंद्रा गार्डन कॉलोनी की सुमन की शिकायत पर पर्स झपटमारी का केस दर्ज किया था। मामले की जांच सीआइए टू को दी गई। जांच के दौरान पहले से गिरफ्तार नाबालिग से पूछताछ की, तो उसने झपटमारी की बात स्वीकार की। पुलिस ने पूछताछ के आधार पर दावा किया कि नाबालिग ने इस वारदात में शुभम और रोहित के शामिल होने की बात कही है। शुभम ने भी इस वारदात में शामिल होने की बात कबूली है। जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने शुभम व एक अन्य नाबालिग के खिलाफ चालान पेश कर दिया। जबकि इस मामले में रोहित फरार दिखाया गया। जब चालान पेश हुआ, तो कोर्ट ने नाबालिग का केस जुवेनाइल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। जेल में बंद था शुभम
इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में गलत तथ्य देते हुए शुभम को लोअर कोर्ट से डिस्चार्ज करा लिया। जबकि उसका केस एडीशनल सेशन कोर्ट में विचाराधीन था। इस ऑर्डर को भी एडीशनल सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया। साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने डीएसपी हेडक्वार्टर को तलब किया गया था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क रखा कि जिस दिन की वारदात में शुभम को पुलिस ने फंसाया है। उस समय वह जेल में बंद था। इस दौरान कोर्ट को वह एफआइआर नंबर 303 भी दी गई थी। जिसके मुताबिक 25 अगस्त 2017 से 30 जुलाई 2018 तक शुभम जेल में बंद था। वहीं पुलिस की ओर से जांच अधिकारी ने कोर्ट में बयान दिया कि उन्होंने इस मामले की जांच नहीं की है। शहर यमुनानगर थाना के तत्कालीन एसएचओ ने कोर्ट में कहा कि 20 मार्च 2019 को सीआइए टू को यह केस ट्रांसफर किया गया। उसी दिन जांच अधिकारी ने डिस्कलोजर रिपोर्ट पेश की। इसमें उन्होंने नाबालिग आरोपित से मोबाइल की रिकवरी दिखाई। 12 अप्रैल 2019 को शुभम की गिरफ्तारी दिखाई। उसकी स्टेटमेंट लिखी। पूरी जांच नियमानुसार हुई है। पीड़िता ने नहीं पहचाना
पीड़िता सुमन ने कोर्ट में कहा कि जिसने झपटमारी की है। उसे देखा नहीं है। कोर्ट में भी उसने शुभम को पहचानने से इन्कार कर दिया।