बढ़ते नशे की वजह से एड्स की चपेट में आ रहे लोग, 223 केस मिले
शहर में नशा बढ़ रहा है। इससे सामाजिक बुराईयां पनप रही हैं साथ ही एड्स जैसी खतरनाक बीमारी भी फैल रही है। गत चार वर्षों में 223 लोग एड्स की बीमारी की चपेट में है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराए गई जांच में यह सामने आया है। इनमें 40 प्रतिशत महिलाएं हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : शहर में नशा बढ़ रहा है। इससे सामाजिक बुराईयां पनप रही हैं, साथ ही एड्स जैसी खतरनाक बीमारी भी फैल रही है। गत चार वर्षों में 223 लोग एड्स की बीमारी की चपेट में है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कराए गई जांच में यह सामने आया है। इनमें 40 प्रतिशत महिलाएं हैं। 29 बच्चों को भी एड्स की बीमारी लग चुकी है। अब विभाग बीमारी से पीड़ित इन लोगों का फॉलोअप कर रहा है। सबसे अधिक मरीज जोन हमीदा, कैंप व फर्कपुर एरिया में हैं।
विभाग के सर्वे में सामने आया कि यहां पर सबसे अधिक नशे का प्रचलन है। हमीदा व कैंप एरिया में इंजेक्शन से नशा लोग करते हैं। इससे यह एचआइवी का वायरस उनके अंदर जा रहा है। जिससे बीमारी बढ़ रही है। जोन में भी एड्स के मरीज बढ़ रहे हैं।
यह है एचआइवी
एचआइवी (ह्यूमन इम्यूनडिफिशिएंशी वायरस) एक विषाणु है। जो बॉडी के इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव ड़ालता है और व्यक्ति के शरीर में उसकी प्रतिरोधक क्षमता को दिनोंदिन कमजोर कर देता है। एचआइवी के शुरूआती स्टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्यक्ति को इलाज कराने में देर हो जाती है।
ये हैं लक्षण और बचाव के उपाय
चिकित्साधीक्षक डॉ. विजय दहिया के मुताबिक, एड्स केवल मनुष्य से मनुष्य को हो सकता है। किसी भी जानवर या कीडे़ के काटने के कारण किसी व्यक्ति को एचआइवी या एड्स नहीं हो सकता। यह तीन तरीकों से फैलता है। खून, मां का दूध या यौन रस। यदि किसी व्यक्ति को खुला धव एड्स संक्रमित व्यक्ति के खून या संक्रमित द्रव के सम्पर्क में आता है, तो उसे भी एचआइवी संक्रमण होने का खतरा होता है। दूसरा अजन्मे बच्चे को अपनी मां के गर्भ में ही यदि मां को एड्स हो तो संक्रमण होने का खतरा होता है तथा जन्म के बाद मां के दूध के माध्यम से भी बच्चे को एड्स का खतरा हो सकता है। तीसरा किसी भी मनुष्य को यौन संबंध के दौरान संक्रमित व्यक्ति से संबंध बनाने पर एड्स होने का खतरा होता है। थूक, बलगम, पसीने, आंसू या शौच के माध्यम से एचआइवी या एड्स का संक्रमण नहीं होता, इसलिए पुरानी सुई, ब्लेड आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। एक अन्य कारण यह भी है कि इंजेक्शन से नशा करने का प्रचलन बढ़ रहा है। यह मेडिकल स्टोरों और ढ़ाबों पर मिल रहा है। सबसे अधिक दिक्कत है कि युवा नशे की चपेट में सबसे अधिक आ रहा है। इंजेक्शन से किए जाने वाले नशे पर रोक लगे, तो एड्स व एचआइवी के खतरे से काफी हद तक बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग इसके लिए जागरूकता अभियान चलाता है। जिसमें एचआइवी के बारे में लोगों को जानकारी देकर जागरूक किया जाता है।
यह है बीते वर्षो का आंकड़ा :
वर्ष - काउंसिलिग - एचआइवी पॉजीटिव
2016- 15024 - 107
2017- 17017 - 82
2018- 18804 - 103
2019-26516 - 101 अब तक
दो बच्चों को चढ़ चुका गलत ब्लड
कई साल पहले दो बच्चों का मामला भी सामने आया था। जांच में पता चला कि गलत ब्लड चढ़ने की वजह से उन्हें एचआइवी हो गया है। उनका पीजीआइ में इलाज चला। इसके अलावा दो साल पहले मंदबुद्धि महिला को भी एचआइवी हो गया था। वह कई दिनों तक सिविल अस्पताल में दाखिल रही। यहां उसके साथ दुष्कर्म हुआ। हालांकि दुष्कर्म करने वाले का पता पुलिस नहीं लगा सकी। बाद में इस महिला को ऑब्जरवेशन होम में रखा गया। जहां उसकी रिपोर्ट में एचआइवी पॉजिटिव मिला था। इसके अलावा एक महिला को भी एचआइवी हो चुका है। उसके पति से यह रोग लगा। पति इंजेक्शन से नशा करता था। परिवार वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया। बाद में पुलिस में केस आया, तो मामला सामने आया।