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पंचतीर्थी धाम : कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों ने धोए थे यहां अस्त्र शस्त्र

जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित पंचतीर्थी धाम का इतिहास बहुत प्राचीन है। राधा कृष्ण पांच पांडव श्रीराम मंदिर के साथ हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है। यहां तीन दिवसीय मेला शुरू हुआ। 16 नवंबर को शुरू हुआ मेला सोमवार को संपन्न हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 08:40 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 08:40 AM (IST)
पंचतीर्थी धाम : कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों ने धोए थे यहां अस्त्र  शस्त्र
पंचतीर्थी धाम : कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों ने धोए थे यहां अस्त्र शस्त्र

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित पंचतीर्थी धाम का इतिहास बहुत प्राचीन है। राधा कृष्ण पांच पांडव श्रीराम मंदिर के साथ हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है। यहां तीन दिवसीय मेला शुरू हुआ। 16 नवंबर को शुरू हुआ मेला सोमवार को संपन्न हो जाएगा। पवित्र सरोवर में लोग स्नान भी करते हैं। यह भी मान्यता है कि यहां लगे बेरी के पेड़ से धागा बांधने पर मन्नतें पूरी होती हैं। मनोकामना को लेकर लोग पवित्र धाम में आकर शीश नवाते हैं। मेले में काफी संख्या में लोग पहुंचे हुए। बच्चों ने झूलों का आनंद लिया तो बड़े लोगों ने दंगल देखा। यहां सजी दुकानों पर खरीदारी भी की। भीड़ के चलते श्रद्धालुओं ने लाइन में लगकर पूजा अर्चना की। पंचतीर्थी पुलिस चौकी ने रूट को डाइवर्ट कराया।

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मंदिर इतिहास

मंदिर के महंत रामकिशोरी महाराज बताते हैं कि महाभारत समय में जब कुरुक्षेत्र में युद्ध हुआ। उसमें लाखों सैनिक का रक्त बहा। रक्तरंजित भूमि हो जाने से पांडवों को अस्त्र शस्त्र धोने के लिए कही कोई स्थान नहीं मिला। तलाश करते हुए पांडव यहां पहुंचे। उन्होंने सरोवर बनाया। इसके पानी से अपने अस्त्र-शस्त्र धोए। द्रोपदी ने अपने केश धोए। यहां बेरी का पौधा लगाया था जो आज बहुत बड़ा है। उन्होंने वरदान भी दिया था कि जो भी सच्चे मन के साथ यहां सरोवर में पांच रविवार स्नान करने के बाद बेरी पर धागा बांधेगा। उसकी मनोकामना पूर्ण होगी। सच्चे दिल से मनोकमना मानने वालों की पूरी होती है। इस मंदिर का नाम भी पांडवों के नाम रखा गया है। सभी की मूर्ति भी स्थापित की गई है। इसके साथ ही बनवास के दौरान भगवान श्री राम भी यहां आए थे। उन्होंने भी कुछ समय यहां व्यतीत किया था। जिससे इस धाम का धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। पहले यहां एकमुखी भगवान हनुमान का मंदिर था। उन्होंने पंचमुखी हनुमान मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराई। इस मूर्ति को राजस्थान से लाया गया था। स्थापित किए दो दशक से ज्यादा हो गए। मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तीनों समय के लिए भंडारे की व्यवस्था मंदिर समिति की ओर से की जाती है। श्रद्धालुओं के लिए बिजली और पानी के व्यापक प्रबंध हैं। मान्यता यह है कि भी पवित्र सरोवर में पांच सरोवर स्नान करने से एलर्जी जैसी बीमारी ठीक होती है।

परिवार में आती सुख-समृद्धि

मंदिर के सेवक जगीर सिंह सैनी का कहना है कि यहां से दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए आए हैं। लोगों को मेले का इंतजार रहता है। मान्यता है कि पूजा करने से परिवार में सुख समृद्धि आती है। लोगों की आस्था मंदिर के साथ जुड़ी है। श्रद्धालुओं भारी भीड़ रही।


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