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कर्मचारी का हक मारने वाले 42 फर्मो के मालिक आगे, ईपीएफ के अधिकारी उनके पीछे

जागरण संवाददाता यमुनानगर तू डाल-डाल मैं पात पात..। ये खेल इन दिनों कर्मचारी भविष्य निधि के अधिकारी और कर्मचारियों का ईपीएफ हड़पने वाले फर्म संचालकों के बीच चल रहा है। वर्ष 2011 से 42 फर्मों की तलाश में अधिकारी हैं। इनमें से कई ने नाम और पता बदलकर काम शुरू कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 12:24 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:42 AM (IST)
कर्मचारी का हक मारने वाले 42 फर्मो के मालिक आगे, ईपीएफ के अधिकारी उनके पीछे
कर्मचारी का हक मारने वाले 42 फर्मो के मालिक आगे, ईपीएफ के अधिकारी उनके पीछे

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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तू डाल-डाल मैं पात पात..। ये खेल इन दिनों कर्मचारी भविष्य निधि के अधिकारी और कर्मचारियों का ईपीएफ हड़पने वाले फर्म संचालकों के बीच चल रहा है। वर्ष 2011 से 42 फर्मों की तलाश में अधिकारी हैं। इनमें से कई ने नाम और पता बदलकर काम शुरू कर दिया। पहले अधिकारियों को कार्रवाई के लिए ईपीएफ के क्षेत्रीय कार्यालय करनाल से आना पड़ता था, लेकिन इस वित्तीय वर्ष से ये शक्ति स्थानीय कार्यालय को सौंपी दी गई है। पावर मिलने पर विभाग ने कार्यवाही तेज कर दी। 30 से ज्यादा व्यापारियों के नाम गैर जमानती वारंट जारी किए गए है। इसके लिए विभाग में स्पेशल टीम बनाई है। गलती स्वीकार की, फिर भी जुर्माना नहीं भरा

ईपीएफ कमिशनर मंयक बंसल ने बताया कि जिन फर्मों ने कर्मचारियों के हक के पैसे हड़पे हैं। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की हुई है। 42 फर्मों में शहर के तीन डिग्री कॉलेज, जिसमें एक ग‌र्ल्स कॉलेज हैं। चार प्लाइवुड व्यापारी, पांच प्राइवेट स्कूल सहित शहर के बड़ी फर्मों के नाम लिस्ट में है। इनका करोड़ों रुपये का टर्नओवर है, लेकिन ये लोग श्रमिकों की खून पसीने की कमाई को हजम कर रहे हैं। ये नियम के खिलाफ है। स्थान बदल कर स्कूल चलाने वाले का खाता सीज कर निकाले पैसे

ईपीएफ अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2011 में मायापुरी कॉलोनी में चल रहे प्राइवेट स्कूल में ईपीएफ के अंशदान में गड़बड़ी मिली। नोटिस के बाद स्कूल पर एक लाख 20 हजार का जुर्माना लगा दिया गया। मगर स्कूल संचालक ने यहां से बंद कर दिया, और भंभौली में स्कूल शुरू कर दिया। इस बारे में काफी छानबीन के बाद पता चला। कई दफा पुलिस कर्मचारी भी मौके पर गए। लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं कर पाए। बाद में विभाग की टीम स्कूल में पहुंची। लेकिन स्कूल संचालक ने टीम को रास्ता नहीं दिया। तब टीम के एक सदस्य ने अभिभावक बनकर प्रिसिपल से बात की और कहा कि उनको अपने बच्चे का दाखिला स्कूल में करवाना है। वह प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। फीस जमा करवाने के लिए स्कूल का बैंक का खाता नंबर लिया कंपनी से मांगा है। नंबर मिलने के बाद विभाग ने खाते से 90 हजार जुर्माने की राशि कटवा दी। अब जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल पर कार्रवाई के लिए लिखा। बकाया 30 हजार की राशि शिक्षा विभाग में सिक्योरिटी के तौर पर जमा राशि से वसूल होंगे। इन्होंने पुलिस देखते ही दे दिया डीडी

छोटी लाइन पर स्पेयर पा‌र्ट्स तैयार करने वाली फर्म के संचालक ने पुलिस को देखते ही 26 हजार रुपए का डीडी ईपीएफ अधिकारियों को सौंप दिया। संचालक काफी समय से पैसे जमा नहीं करा रहा था। अधिकारियों का कहना है कि जो भी फर्म संचालक कर्मचारियों के हक पर डाका डालेगा। उसके खिलाफ कडी़ कार्रवाई होगी। इन पर भी चलेगा डंडा

विभाग ने अपने स्तर पर 150 से ज्यादा फर्म का रिकॉर्ड जुटाया हुआ है। इनकी जांच चल रही है। जांच पूरी होते ही पर भी जुर्माना लगा दिया जाएगा। इन फर्मों में से कई सत्ता व विपक्ष के लोगों की है। इन्होंने अभी से विभाग के चक्कर लगाने शुरू कर दिए है।

काम करते हैं तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी, रिकॉर्ड में मात्र 26 हजार

जिले में प्लाइवुड, मेटल, पेपर मिल, शुगर मिल, इस्जैक सहित चार हजार फर्मों (फर्म, फैक्ट्रियां, अस्पताल, होटल, कंपनी, शिक्षण संस्थान व अन्य) में तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से मात्र 1707 संस्थान के 27 हजार कर्मचारियों को ईपीएफ की सुविधा मिल रही है। अन्य किसी का कोई रिकॉर्ड नहीं है। ये हो रही है गडबड़ी

32 हजार को ईएसआई की सुविधा मिल रही है। बता दें कि ईपीएफ का एक हिस्सा कर्मचारी का तो एक हिस्सा कंपनी को देना पड़ता है। इसलिए कंपनियां ईपीएफ नहीं कटवाती। जिस संस्था या फर्म में 20 कर्मचारी काम करते हैं। उस पर ईपीएफ के नियम लागू होता है। इसी तरह से ईएसआई का नियम 10 कर्मचारियों पर लागू होता है। इस तरह करते है गड़बड़ी

जिन कर्मचारियों को 15000 रुपए तक का वेतन मिलता है। वे ईपीएफ के दायरे में आते है। ईएसआई के दायरे में 21 हजार तक वेतन पाने वाले कर्मचारी शामिल है। अभी तक की जांच में पता चला है कि कुछ फर्म कर्मचारियों का वेतन 15500 बता कर इस दायरे से बाहर हो रही है। जबकि कर्मचारियों को वेतन 10 से 12 हजार के दायरे में दिया जा रहा है।

ईएसआई में नाम दर्ज करवाने के बाद एम्पलोयर को एम्पलोई के वेतन का 1.75 प्रतिशत पैसा जमा करवाना होता। मगर ईपीएफ के लिए एम्पलोयर को एम्पलोई के हिस्से से अलग वेतन पर 12 प्रतिशत पैसा जमा करवाना होता है। यदि एक कर्मचारी को दस हजार रुपए मिलते है तो ईपीएफ की राशि जोड़कर एम्पलोयर को 11200 रुपए का भार पड़ता है। इस पैसे का फायदा कर्मचारी को होता है। वहीं ईएसआई के जमा हुए हुई 1.75 का पैसा कर्मचारी से ज्यादा फर्म संचालकों का होता है। इसमें कर्मचारी को पूरा इलाज होता है। ईएसआइ में और ईपीएफ में अलग अलग रिकॉर्ड

ईपीएफ के कर्मचारियों ने ईएसआई से रिकॉर्ड लेकर अपने रिकॉर्ड की जांच की गई तो ईएसआई के रिकॉर्ड में 3500 फर्मों के 40 हजार कर्मचारियों के नाम दर्ज है, लेकिन ईपीएफ की सुविधा में मात्र 24 श्रमिकों को दी जा रही है। इस फर्माें से लिखित में जवाब मांगा गया है। जिन्होंने ईएसआई के रिकॉर्ड में 25 से ज्यादा कर्मचारी दिखाए है और ईपीएफ रिकॉर्ड में कम।


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