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आचार संहिता लगते ही जवाबदेही से मुक्त हुई अफसरशाही, बंद पड़ीं स्ट्रीट लाइटे शहर में अंधेरा

आचार संहिता लगते ही अफसरशाही हावी हो गई। अधिकारी जवाब देही से खुद को मुक्त समझ रहे हैं। इसी अनदेखी का परिणाम है कि ट्विन सिटी में स्ट्रीट लाइटें जवाब दे चुकी हैं। हर साल दो करोड़ रुपये से ज्यादा स्ट्रीट लाइटों पर खर्च होने के बावजूद शहर अंधेरे में है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 06:40 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:40 AM (IST)
आचार संहिता लगते ही जवाबदेही से मुक्त हुई अफसरशाही, बंद पड़ीं स्ट्रीट लाइटे शहर में अंधेरा
आचार संहिता लगते ही जवाबदेही से मुक्त हुई अफसरशाही, बंद पड़ीं स्ट्रीट लाइटे शहर में अंधेरा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : आचार संहिता लगते ही अफसरशाही हावी हो गई। अधिकारी जवाब देही से खुद को मुक्त समझ रहे हैं। इसी अनदेखी का परिणाम है कि ट्विन सिटी में स्ट्रीट लाइटें जवाब दे चुकी हैं। हर साल दो करोड़ रुपये से ज्यादा स्ट्रीट लाइटों पर खर्च होने के बावजूद शहर अंधेरे में है। हालांकि अधिकारी व्यवस्था में सुधारने का दावा जरूर ठोकते हैं। दैनिक जागरण की पांच टीमों ने अलग-अलग कॉलोनियों में अधिकारियों के दावे के लिए जायजा लिया। 70 प्रतिशत से ज्यादा लाइट बंद मिलीं। कई के तो बल्ब तक गायब मिले। न केवल मॉडल टाउन जैसे पॉश एरिया, बल्कि नेशनल हाईवे, आउटर की कॉलोनियों, कॉलोनियों के पार्को से भी रोशनी गायब मिली। निगम की इस लचर व्यवस्था के सामने शहरवासी लाचार हैं। व्यवस्था को कोस रहे हैं। नगर निगम की ओर से टेंडर तो जरूर लगाए जा रहे हैं, लेकिन स्ट्रीट लाइट जली नहीं। कई के तो बल्ब तक गायब थे।

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निगम के रिकार्ड में तीन साल में ये हुआ खर्च

वर्ष खर्च

2016-17 तीन करोड़ 10 लाख

2017-18 चार करोड़ 41 लाख

2018-19 70 लाख 80 हजार

2019-20 के लिए निर्धारित : चार करोड़ 80 लाख रुपये।

शहर में 25 हजार प्वांइट

नगर निगम एरिया में स्ट्रीट लाइटों के कुल 25 हजार स्ट्रीट प्वाइंट हैं। अधिकांश लाइट खराब रहती हैं। जानकारी के मुताबिक खराब हुई लाइट को 48 घंटे में ठीक कराने का प्रावधान है, जबकि दो-दो माह तक लाइटें ठीक नहीं कराई जाती। नगर निगम के पास हर दिन 80-100 शिकायतें स्ट्रीट लाइट के खराब होने से संबंधित आ रही हैं।

ठेकदारों पर खास मेहरबानी

समय पर स्ट्रीट लाइट ठीक नहीं होती। इस बारे नियम जरूर बनाए जा रहे हैं, लेकिन उनकी पालना नहीं हो पा रही है। यदि समय पर लाइट ठीक न की जाए तो 50 रुपये प्रतिदिन तथा पांच दिन के बाद सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से ठेकेदार पर जुर्माना लगाया जाने का नियम है। हद इस बात की है कि किसी ठेकेदार पर नगर निगम ने जुर्माना नहीं लगाया है। ठेकेदारों पर कार्रवाई न होने से हौसले बुलंद हैं।

रात 7.45 से 11.45 तक टीम ने किया दौरा, मिला अंधेरा

दैनिक जागरण की टीमों ने मॉडल टाउन, औद्योगिक क्षेत्र, हमीदा, सहारनपुर रोड, बूड़िया रोड, अग्रसैन चौक, पुराना सहारनपुर रोड, बिलासपुर रोड, जगाधरी मेन बाजार, पत्थरोंवाला बाजार, रक्षक बिहार नाका, जगाधरी बस स्टैंड, डीसी कैंप ऑफिस से जगाधरी बस स्टैंड, बैंक कॉलोनी, मायापुरी कॉलोनी, दुर्गा गार्डन, विशाल नगर, गोल्डेनपुरी, लघु सचिवालय, कन्हैया चौक, प्रोफेसर कॉलोनी, जैन मंदिर के पास, टेलीफोन कॉलोनी, राजधानी कॉलोनी, कैंप, शक्ति नगर, जम्मू कॉलोनी, लालद्वारा कॉलोनी, तेजली स्टेडियम के पीछे, गधोला, दड़वा, तेजली, राजाराम कॉलोनी, ज्योति नगर, महावीर कॉलोनी, नहर कॉलोनी, सेक्टर 15, डिपल सिनेप्लेक्स के पीछे वीर नगर, गुर्जर नगर, जैन नगर, मटका चौक, कल्याण नगर, छोटी लाइन, दुर्गा गार्डन, एमएलएन कॉलेज रोड, संतपुरा सहित अन्य क्षेत्रों का दौरा किया। यहां की गलियों में अंधेरा पसरा था। नहर कॉलोनी के मोड़ पर लगी बड़ी लाइट ब्लिक कर रही थी। अग्रसेन चौक के नजदीक छछरौली-पांवटा साहिब हाईवे पर लगी बड़ी लाइट बंद मिली।

राहगीर पंकज और नीरज ने बताया कि वे इस मार्ग से अकसर जाते हैं। यहां लगी लाइट दो माह से नहीं जल रही। कई बार बाइक बंद होने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पार्को में अंधेरा का लाभ नशेड़ी उठाते हैं।

निगम आयुक्त आवास मिला जगमगाता

टीम ने पड़ताल के लिए जब जांच की तो अधिकांश जगह अंधेरा मिला। जब निगम आयुक्त आवास के पास पहुंचे तो आवास से पहले ही लाइट जगमगा रही थी। जैसे ही आवास का एरिया खत्म होता है, तो फिर वही अंधेरा मिला। लघु सचिवालय में लगी स्ट्रीट लाइट बंद थी। गेट पर लगी एक लाइट टिमटिमा रही थी। कोर्ट वाली रोड का यही हाल था। एसपी आवास पर लाइट थी कुछ दूर चलते ही फिर वही घनघोर अंधेरा था।

यहां जलती मिली लाइट

बस स्टैंड से फायर स्टेशन की ओर जा रही सड़क पर एक-दो लाइट ही जलती हुई दिखाई दी। पावर हाउस से लेकर हमीदा हेड तक करीब 48 लाइटें लगी हैं, लेकिन इनमें से केवल चार-पांच लाइटें ही जलती मिलीं। डीसी कैंप से जगाधरी बस स्टैंड तक 37 स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। जगाधरी बस स्टैंड से रक्षक विहार नाके तक 40 लाइटें खराब, बिलासपुर रोड पर 66 लाइटें लगी हैं। इनमें से 59 खराब पड़ी हैं। मेला सिंह चौक वाली सड़क पर छोटी और बड़ी लाइट बंद थी। कॉलोनियों का भी बद से बदतर हाल था।

हम व्यवस्था बदल रहे हैं। यमुनानगर और जगाधरी की सभी कॉलोनियों में लगी लाइटें एलईडी में कन्वर्ट की जाएंगी। इस योजना पर काम भी शुरू हो गया है। कई कॉलोनियों में स्ट्रीट लाइटें बदलने का काम भी शुरू हो गया है। जिन कॉलोनी में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, उनको दुरुस्त करवा दिया जाएगा।

महीपाल सिंह, एसई, नगर निगम।


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