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जांच के घेरे में टाइलों की गुणवत्ता, स्ट्रेंथ टेस्टिग मशीन नहीं खरीद पाए अधिकारी

अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया। टाइलों की गुणवत्ता जांचने के लिए ऑटोमेटिक डिजिटल कांप्रेसिव स्ट्रेंथ टेस्टिग मशीन खरीदी जानी थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 06:09 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 06:09 AM (IST)
जांच के घेरे में टाइलों की गुणवत्ता, स्ट्रेंथ टेस्टिग मशीन नहीं खरीद पाए अधिकारी
जांच के घेरे में टाइलों की गुणवत्ता, स्ट्रेंथ टेस्टिग मशीन नहीं खरीद पाए अधिकारी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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नगर निगम एरिया में प्रयोग की जा रही टाइलों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई वार्डों में लग रही टाइलों के कार्य जांच के घेरे में हैं। शिकायत के बाद यहां काम भी रोक दिया गया है। इनकी शिकायत भी विधानसभा की पिटीशन कमेटी को की जा चुकी है। अब से पहले भी हाउस की बैठक में टाइलों का यह मामला कई बार उठ चुका है, लेकिन अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया। टाइलों की गुणवत्ता जांचने के लिए ऑटोमेटिक डिजिटल कांप्रेसिव स्ट्रेंथ टेस्टिग मशीन खरीदी जानी थी, लेकिन उसमें भी अधिकारी रूचि नहीं ले रहे हैं। जबकि मशीन की कीमत भी करीब तीन लाख रुपये बताई जा रही है। इन सड़कों की हुई शिकायत

संतपुरा रोड, छोटी लाइन पर गुजराल इन्वर्टर की दुकान के साथ वाली गली, सन्नो चौक से बस स्टैंड, शास्त्री कालोनी सहित अन्य कई सड़कों की शिकायत हो चुकी है। नगर निगम एरिया में कंकरीट की बजाय इंटरलॉकिग टाइलों के प्रयोग को अधिक तरजीह दी जा रही है। सभी वार्डो में अधिकांश सड़कें व गलियां इंटरलॉकिग टाइलों से ही बन रही हैं। हर वार्ड में इन दिनों काम चल रहा है। कहीं सड़क को नए सिरे से बनाया जा रहा है तो कहीं चौड़ाई बढ़ाई जा रही है। यहां तक कि मुख्य मार्गों के किनारे भी इंटरलॉकिग टाइलों का ही प्रयोग हो रहा है। ऐसे में टाइलों की क्वालिटी पर ध्यान देना अधिकारियों के लिए और भी जरूरी हो जाता है।

इंटरलॉक टाइलों की क्वालिटी की जांच के लिए नगर निगम ने ऑटोमेटिक डिजिटल कांप्रेसिव स्ट्रेंथ टेस्टिग मशीन खरीदने की योजना बनाई। इसके लिए टेंडर भी हो चुका था। बावजूद इसके मशीन नहीं खरीदी गई। यह होगा फायदा

टाइलों की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपल राष्ट्रीय प्राद्यौगिकी संस्थान (एनआइटी) जाते हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही ठेकेदार को उनके कामों की पेमेंट की जाती है। विशेष परिस्थितियों में ही सैंपल श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रीयल रिसर्च में जांच के लिए भेजा जाता है। यमुनानगर-जगाधरी नगर निगम की बात की जाए तो 80-90 सैंपल हर माह जांच के लिए जाते हैं। 20-25 दिन में रिपोर्ट आती है। लेकिन यदि आटोमेटिक डिजिटल कांप्रेसिव स्ट्रेंथ मशीन हो तो रिपोर्ट के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता। मशीन से अधिकारी मौके पर ही टाइलों की क्वालिटी जांच कर सकते हैं।

मैने संतपुरा रोड पर लग रही टाइलों के बारे में नगर निगम अधिकारियों से शिकायत की थी, लेकिन शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई। ठेकेदार को पेमेंट भी कर दी गई। कुछ ठेकेदार दोयम दर्जे की टाइलों का प्रयोग कर रहे हैं। मौके पर क्वालिटी की जांच की जानी जरूरी है। हाउस की बैठक में भी यह मुद्दा कई बार उठाया जा चुका है।

विनोद मरवाह, पार्षद, वार्ड-8 स्ट्रेंथ मशीन देखने के लिए हम अंबाला गए थे। खरीदने के लिए टेंडर भी कॉल कर लिया था। बावजूद इसके यह समझ से परे है कि आखिर अधिकारी इस मशीन को क्यों नहीं खरीद रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि ठेकेदारों के दबाव में यह मशीन न खरीदी जा रही हो। इस बारे मेयर मदन चौहान से भी बात हुई है। टाइलों की क्वालिटी की जांच होना जरूरी है।

कर्मवीर सेठी, पूर्व पार्षद, वार्ड-18


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