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स्ट्रेचर न मिलने से रेलवे अस्पताल में तड़पता रहा मरीज

जागरण संवाददाता, जगाधरी वर्कशॉप : रेलवे अस्पताल में कर्मचारियों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। सोमवार को रेलवे एसी सेक्शन के सीनियर टेक्नीशियन 58 वर्षीय पारस नाथ की हालत बिगड़ गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 02:51 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 02:51 PM (IST)
स्ट्रेचर न मिलने से रेलवे अस्पताल में तड़पता रहा मरीज
स्ट्रेचर न मिलने से रेलवे अस्पताल में तड़पता रहा मरीज

जागरण संवाददाता, जगाधरी वर्कशॉप : रेलवे अस्पताल में कर्मचारियों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। सोमवार को रेलवे एसी सेक्शन के सीनियर टेक्नीशियन 58 वर्षीय पारस नाथ की हालत बिगड़ गई। उसके शरीर के एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। उसे पड़ोसी अस्पताल लेकर पहुंचे। किसी तरह से अस्पताल में लेकर पहुंच गए। यहां पर सीढि़यों के रास्ते इमरजेंसी में ले जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। जब स्टाफ नर्स से इस बाबत कहा गया, तो उसने मरीज के साथ आए अमृत लाल को पहले तो मना कर दिया। बाद में इमरजेंसी तक खुद ही लाने के लिए कह दिया। यहां तक कि कोई भी स्टाफ ब्वाय होने से इंकार कर दिया। इस दौरान मरीज नीचे ही तड़पता रहा। बाद में अमृत ने फोन कर अन्य साथियों को बुलाया और उसे सीढि़यों के रास्ते इमरजेंसी वार्ड तक ले गए। जहां उसे स्ट्रेचर पर लिटाया गया।

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अमृत ने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में भी पारस को प्राथमिक चिकित्सा नहीं दी गई। जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई। बाद में डॉक्टरों ने उसे रेफर करने की सलाह दी। सुबह साढ़े 11 बजे उसे डॉक्टरों ने निजी चिकित्सक के पास ले जाने के लिए कह दिया। आरोप है कि साढ़े 11 बजे जब उसके कागजात तैयार कराने लगे, तो एक और मरीज के कागजात तैयार हो रहे थे। डॉक्टरों को पारस नाथ के कागजात पहले तैयार करने के लिए कहा, क्योंकि उसकी हालत बिगड़ रही है, लेकिन डॉक्टरों ने उनकी कोई बात नहीं सुनी। किसी तरह से कागजात तैयार हुए, तो एंबुलेंस नहीं आई। करीब दो घंटे बाद एंबुलेंस आई और पारस को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी। वह बिल्कुल मरणासन्न हालत में पहुंच गया था। अब उसका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

न स्ट्रेचर और न ही व्हीलचेयर :

अस्पताल में न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था थी और न ही व्हील चेयर। एक व्हीलचेयर रखी थी। लेकिन वह टूटी हुई पड़ी थी। एंबुलेंस भी खराब खड़ी थी। अस्पताल में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल थी। जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे थे। यूआरकेयू के पदाधिकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी से भी मिले। लेकिन उन्होंने भी कोई सुनवाई नहीं की। प्रधान देवशंकर, नरेश का कहना है कि अस्पताल में अधिकारियों के लिए ही सारी सुविधाएं हैं। कर्मचारियों के लिए कोई सुविधा यहां पर नहीं है।

कोट्स :

मरीज को प्राथमिक चिकित्सा दी गई। जब उसकी हालत नहीं सुधरी, तो उसे रेफर किया गया। यदि नर्स ने मरीज को एडमिट करने से इंकार किया है, तो हम उसकी जांच करा लेंगे। जो हमारे पास सुविधाएं हैं। वह मरीजों को दी जाती है।

डॉ. भरत लाल, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी।


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