नेताजी ने मंच से छोड़े शब्दों के बाण
जनसभाओं को सिलसिला जारी है। देर शाम तक नेताजी प्रचार कर रहे हैं। जीत के लिए कुछ भी करेगा वाली बात हो रही है। ऐसी ही एक सभा में मंच पर संबोधन के लिए पहुंचे नेताजी ने शुरूआत से लेकर भाषण खत्म करने तक शब्दों के तीखे बाण छोड़े। ये किसी अंगारे से कम नहीं थे।
जनसभाओं को सिलसिला जारी है। देर शाम तक नेताजी प्रचार कर रहे हैं। जीत के लिए कुछ भी करेगा वाली बात हो रही है। ऐसी ही एक सभा में मंच पर संबोधन के लिए पहुंचे नेताजी ने शुरूआत से लेकर भाषण खत्म करने तक शब्दों के तीखे बाण छोड़े। ये किसी अंगारे से कम नहीं थे। इससे पहले कभी ऐसे तेवर नहीं देखे थे। उनके भाषण नहीं सीधे अटैक था। गर्मजोशी से लोगों को शब्दों में उलझाए रखा। इनके समर्थक आपस में चर्चा कर रहे थे कि अभी से यह हाल है तो कुर्सी पर मिलने पर कैसा होगा। ठीक है लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है।
भाई अब तो 3100 वाली में ठीक करा दूंगा
जनसंपर्क के दौरान नेता जी एक गांव में पहुंचे। यहां पेंशन न लगने से परेशान बुजुर्ग ने बोला कि भाई पावर में तो हैं। पर उसका तो काम करा नहीं पाया। वह अपना परिचय पत्र लेकर चिकित्सकों के पास गया था। उसकी उम्र कम बताकर वापस भेज दिया गया। अब नेता जी बताओ कैसे काम होगा, जबकि उसके मुंह में दांत तक नहीं रहे। नेता ने सुंदर जवाब देते हुए कहा कि चिता बिल्कुल न करें। अभी तो 2100 है न 3100 वाली ठीक करा देंगे। बस आपका आशीर्वाद लेने के लिए आया हूं।
अधिकारी भी कर रहे सीट के लिए जोड़-तोड़
विस चुनावों में केवल समर्थक ही नेताओं की हार जीत का आंकड़ा नहीं लगा रहे हैं। अधिकारी भी इस जोड़ तोड़ में लगे हैं। इनका गणित सबसे अलग है। इनके समीकरण और समर्थकों के अंदाजे आपस में मैच नहीं हो रहे हैं। 24 अक्टूबर को किस के सिर जीत का सेहरा बंधेगा। इसका तो वक्त पर पता लगेगा। इससे पहले कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
प्रस्तुति : पोपीन पंवार, यमुनानगर।