Move to Jagran APP

निजी स्कूलों की लापरवाही, अधिकारियों की सुस्ती मासूमों पर पड़ न जाए भारी

निजी स्कूल संचालक विद्यार्थियों की जिदगी से खिलवाड़ करने पर तुले हैं। मोटा किराया लेकर जिन बसों में विद्यार्थियों को घर से स्कूल ले जाने और लाने का काम किया जा रहा है वे सुरक्षित नहीं हैं। स्कूल संचालकों को न तो नियमों की परवाह है और न ही बच्चों की सुरक्षा की। उन्हें तो मोटी फीस और बस किराये से मतलब है। भले ही बस मानकों को पूरा करती हो या नहीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 06:20 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 06:20 AM (IST)
निजी स्कूलों की लापरवाही, अधिकारियों की सुस्ती मासूमों पर पड़ न जाए भारी
निजी स्कूलों की लापरवाही, अधिकारियों की सुस्ती मासूमों पर पड़ न जाए भारी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : निजी स्कूल संचालक विद्यार्थियों की जिदगी से खिलवाड़ करने पर तुले हैं। मोटा किराया लेकर जिन बसों में विद्यार्थियों को घर से स्कूल ले जाने और लाने का काम किया जा रहा है, वे सुरक्षित नहीं हैं। स्कूल संचालकों को न तो नियमों की परवाह है और न ही बच्चों की सुरक्षा की। उन्हें तो मोटी फीस और बस किराये से मतलब है। भले ही बस मानकों को पूरा करती हो या नहीं। स्कूल बसों के साथ सबसे ज्यादा हादसे होने की आशंका कोहरा छाने के दौरान रहती है, परंतु संबंधित विभाग के अधिकारी अभी नहीं जागे हैं। स्कूलों के साथ ही कई कॉलेजों की बसों में भी खामियां हैं।

loksabha election banner

जिले में ढाई सौ निजी स्कूल

जिले में 250 से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हैं। इनकी छह सौ से ज्यादा बसें बच्चों को घर से लाने में लगी हुई हैं, लेकिन इनमें से 174 बसें ऐसी हैं जो सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरती। कुछ स्कूलों ने कांट्रेक्ट पर बसें ले रखी हैं, लेकिन इन पर कहीं नहीं लिखा कि स्कूल द्वारा इसे हायर किया गया है। बसों की टेल लाइट काम नहीं करने से पीछे से आ रहे वाहन चालक को पता ही नही चलता की स्कूल बस रुकने वाली है, इसलिए पीछे से आ रहा अन्य वाहन इनसे टकराने से बाल-बाल बचता हैं। आरटीए के अधिकारियों ने पिछले दिनों स्कूल बसों की जांच की तो उनमें कई तरह की गंभीर खामियां पाई गई।

ट्रैफिक पुलिसकर्मी मेहरबान

ट्रैफिक पुलिस भी स्कूलों पर पूरी तरह से मेहरबान हैं। चौराहों पर खड़ी पुलिस वाहन चालकों का चालान काटने तो व्यस्त रहती है, लेकिन उनका ध्यान वहां से गुजरने वाली स्कूल बसों पर नहीं जाता। 40 सीट वाली बस में 60 से 65 तक बच्चे बैठाए जाते हैं। बस चलाते हुए ड्राइवर मोबाइल पर बात करते हैं। सच्चाई यह है कि ट्रैफिक पुलिस ने लंबे समय से नियम तोड़ने वाली स्कूल बसों पर कार्रवाई ही नहीं की। पांच दिन पहले छछरौली में डीएवी स्कूल कपालमोचन की बस स्टेयरिग फेल होने से पलट गई थी। उसमें कुछ बच्चों को चोट लगी थी। जांच में पता चला कि इस बस को दिसंबर, 2018 के बाद पास ही नहीं कराया था। ऐसे में आरटीए कैसे दावा कर रहे हैं कि सभी बसें ठीक हैं।

खामियां दूर करने का समय दिया है : सुरेंद्र

आरटीए के सहायक सचिव सुरेंद्र रेढू का कहना है कि स्कूल बसों में जांच के दौरान खामियां पाई गई थीं। इन खामियों को दूर करने के लिए स्कूलों को एक सप्ताह का समय दिया है। बच्चों की जान से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एक साल में मात्र 15 चालान

खानापूर्ति करने के लिए पुलिस ने स्कूल बसों के मात्र 15 चालान किए। ये कार्रवाई भी केवल सीट बेल्ट के नियम तोड़ने पर की। अन्य नियमों पर कतई भी ध्यान नहीं दिया।

बसों में ये मिलीं खामियां

-अधिकांश बसों में महिला सहायिका नहीं मिली।

- बसों में रखे अग्निशमन यंत्रों की पूरी हो चुकी थी मियाद।

- फ‌र्स्ट एड बॉक्स में पूरी दवाइयां नहीं थी। कई दवाइयां एक्सपायर मिली।

- बसों की नंबर प्लेट में खामियां थीं।

- स्कूल वैन हाईकोर्ट की पॉलिसी का उल्लंघन करती मिली।

- अधिकांश ड्राइवर और परिचालकों ने रिफ्रेश कोर्स नहीं किए।

- रिफ्लेक्टिव टेप की भी खामी मिली।

- बसों में लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग बसों में रखी थी, जबकि रिकॉर्डिंग स्कूल में होनी चाहिए।

- बसों व वैन में मानक से ज्यादा छात्र मिले।

बसों के लिए निर्धारित नियम

- स्कूल बस के आगे-पीछे स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखना जरूरी है।

- बस चालक को पांच वर्ष का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना जरूरी। उसके खिलाफ मोटर वाहन के तहत कोई केस दर्ज न हो।

- बस चालक के अलावा एक अन्य शिक्षित व्यक्ति भी मोटर वाहन के नियम 17 के तहत बस के साथ रहेगा।

- बच्चों का स्कूल बैग रखने को सीटों के नीचे जगह जरूर होनी चाहिए।

- बस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स एवं फायर कंट्रोल यंत्र हो।

- स्कूली बच्चे लाने व और ले जाने का वैध परमिट होना चाहिए।

- स्कूली बसों का वार्षिक फिटनेस प्रमाण पत्र व बीमा होना जरूरी।

- स्कूल बसों के चालक व परिचालक वर्दी में रहेंगे। नेम प्लेट पर लाइसेंस नंबर लिखना जरूरी।

- बस गति 50 किमी. प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

- स्कूल बस पर रूट संख्या एवं समय लिखना जरूरी।

- सभी बसों में सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.