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शहर में बढ़ रहा टीबी का कहर

शहर में बढ़ रहा टीबी का कहर

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 06:26 PM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 06:26 PM (IST)
शहर में बढ़ रहा टीबी का कहर
शहर में बढ़ रहा टीबी का कहर

संजीव कांबोज, यमुनानगर :

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औद्योगिक नगरी में टीबी का कहर बढ़ रहा है। वर्ष-2018 में अब से पहले 839 मरीज सामने आ चुके हैं। 60 प्रतिशत मरीज शहरी एरिया से होते हैं। हालांकि बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। पीड़ित को निगरानी में दवाई दी जाती है और जांच की सुविधा भी निशुल्क मुहैया करवाई जा रही है, बावजूद इसके संख्या में हर वर्ष इजाफा हो रहा है। वर्ष-2011 में मरीजों की संख्या 1456 थी, जबकि 2017 में बढ़कर 1601 हुई है। निजी अस्पतालों को सूचना देनी अनिवार्य

अब हर निजी अस्पताल में आने वाले मरीज की सूचना विभाग को देनी अनिवार्य है। इस वर्ष जिले में 266 मरीज निजी अस्पतालों में रिपोर्ट हुए हैं। रोग की जांच के लिए सीबी नॉट मशीन की सुविधा विभाग के पास है। मशीन की खास बात यह है कि जांच के बाद यह पता चल जाएगा कि दवाई मरीज पर असर करेगी या नहीं। इनसेट

किस वर्ष में कितने मरीज आए :

वर्ष मरीज

2011 1456

2012 1458

2013 1640

2014 1659

2015 1703

2016 1708

2017 1601

2018 में अब तक 839 ये बनते कारण :

विशेषज्ञों के मुताबिक टीबी रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है। रोग सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं। औद्योगिकरण और तंग रहन-सहन भी टीबी का कारण माना जा रहा है। इनसेट

ये हैं लक्षण

हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी, खांसी के साथ बलगम आ रहा हो, कभी-कभार खून भी, भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, शाम या रात के वक्त बुखार आना, सर्दी में भी पसीना आना, सांस उखड़ना या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना। इनमें से कोई भी लक्षण हो सकता है और कई बार कोई लक्षण नहीं भी होता।

चलाए जाते हैं जागरूकता अभियान

क्षय रोग नियंत्रण के लिए समय-समय पर लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान विभाग की तरफ से चलाए जाते हैं। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारी है। जिस व्यक्ति को सात दिन से अधिक खांसी होती है तो उसके बलगम की जांच की जाती है। जिसके पॉजिटिव आने पर डाट्स केंद्रों पर मरीज को डाट्स प्रवाइडर अपने सामने टी.बी की दवाई खिलाते हैं। इनसेट

सरकार की तरफ से दी जाती है मुफ्त दवाई

केंद्र सरकार की तरफ से क्षय रोग नियंत्रण के लिए टीबी के मरीजों को मुफ्त दवाई उपलब्ध कराई जाती है। जिनके लिए जगह-जगह डाट्स केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन डाट्स केंद्रों पर हर रोज मरीज को दवाई खिलाई जाती है। इनकी जांच के लिए भी जिले में अलग-अलग स्थान पर बलगम जांच केंद्र बनाए गए हैं। जिन पर इन मरीजों की बलगम की जांच की जाती है। इनसेट

टीबी के मरीजों का उपचार स्वास्थ्य विभाग की ओर से निशुल्क करवाया जा रहा है। जांच के लिए सुविधाएं बढ़ा दी गई हैं। जब पहले मरीज का ही इलाज हो जाएगा तो आगे टीबी के कीटाणु नहीं फैल पाएंगे। बचाव के लिए रहन-सहन व खानपान की ओर अधिक ध्यान दें।

डॉ. वीके जैन, डिप्टी सीएमओ।


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