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स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 : छह हजार अंकों की परीक्षा से गुजरेगा नगर निगम

स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 की परीक्षा इस बार पांच नहीं बल्कि परीक्षा छह हजार नंबर की होगी। स्वच्छ सर्वेक्षण को तीन चरणों में बांटा गया है। अप्रैल से जून जुलाई से सितंबर और अक्टूबर से दिसंबर तक काम होना है। सभी के चरणों के अंक निर्धारित किए गए हैं। 1500 अंक डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन के होंगे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 06:40 AM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 06:40 AM (IST)
स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 : छह हजार अंकों की परीक्षा से गुजरेगा नगर निगम
स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 : छह हजार अंकों की परीक्षा से गुजरेगा नगर निगम

संजीव कांबोज, यमुनानगर

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स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 की परीक्षा इस बार पांच नहीं, बल्कि परीक्षा छह हजार नंबर की होगी। स्वच्छ सर्वेक्षण को तीन चरणों में बांटा गया है। अप्रैल से जून, जुलाई से सितंबर और अक्टूबर से दिसंबर तक काम होना है। सभी के चरणों के अंक निर्धारित किए गए हैं। 1500 अंक डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन के होंगे। गारबैग फ्री सिटी स्टार, रेडिग और ओडीएफ के 1500 नंबर, 1500 नंबर सिटीजन फीडबैक और 1500 अंक सर्विस लेबर प्रोग्रेस के निर्धारित किए गए हैं।

स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी को 218वां रैंक मिला था। इससे पहले 443वें रैंक पर रहा। मतलब सुधार की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि डगर आसान नहीं है, लेकिन इस बार नगर निगम अधिकारी बेहतर रैंकिग का दावा कर रहे हैं। इसके लिए मास्टर प्लान के तहत काम किया जा रहा है।

यह मानदंड जरूरी

स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 के लिए मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट की टीम ट्विन सिटी का दौरा करेगी। यह दौरा गुप्त भी हो सकता है। अच्छी रैंकिग के लिए एरिया ओडीएफ हो, सड़कों, नालियां और गलियों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त हो, रात्रि सफाई की नियमित व्यवस्था, सफाई कर्मचारी वर्दी में हों और उन पर पहचान पत्र हो, नीले और हरे रंग के डस्टबिन रखे हों, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए गाड़ी, गीला और सूख कचरा अलग-अलग रखने की व्यवस्था, हर घर में शौचालय हो। इसके अलावा टीम पब्लिक से भी फीडबैक लेगी।

यह कमजोर पहलू

रोज निकलता 250 टन कचरा : यमुनानगर-जगाधरी से दोज 250 टन कचरा निकल रहा है। चार वर्ष से कचरा निस्तारण प्लांट बंद होने के कारण जगह-जगह कचरा डाला जा रहा है। कैल गांव में कचरे के पहाड़ बन चुके हैं। जगाधरी के मिल्ट्री ग्राउंड में भी कचरे के ढेर लगे हुए हैं। शहर से निकलने वाले कचरे के निस्तारण के लिए सरकार ने वर्ष-2012 में 18.74 करोड़ रुपये यह प्लांट लगाया था। यह इन दिनों बंद पड़ा हुआ है।

कर्मचारियों की संख्या कम

कर्मचारियों की कमी सफाई व्यवस्था पर भारी पड़ रही है। खासतौर पर नगर निगम में शामिल 42 गांवों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। नगर निगम एरिया में की सफाई का जिम्मा 643 कर्मचारियों पर है, जबकि आबादी के लिहाज से करीब 1500 कर्मचारी चाहिए

कचरे में लगा दी जाती आग

शहर में जगह-जगह पड़े कचरे को आग के हवाले कर दिया जाता है। सेक्टर-18 में कूड़ेदान में ही लोगों ने आग लगा दी। दिनभर कचरे से धुआं उठता रहा। आसपास से गुजरने वाले वाहन चालकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा।

स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 की नई गाइड लाइन आई है। इसके तहत काम चल रहा है। रैंकिग में हर वर्ष सुधार है। इस बार हमारा प्रयास है कि और भी बेहतर रैंकिग हासिल हो। स्वच्छता पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। जो कमजोर पहलू हैं, उन्हें भी दूर किया जा रहा है।

विपिन गुप्ता, सीपीओ, नगर निगम, यमुनानगर।


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