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टीकाकरण करने वाले एमपीएचडब्ल्यू कर्मी हुए टर्मिनेट, निमोनिया की निशुल्क वैक्सीन पर संकट

सरकारी अस्पताल में पहली बार निमोनिया के उपचार के लिए निशुल्क वैक्सीन की सुविधा शुरू होने जा रही है। हर स्वास्थ्य केंद्र पर न्यूमोकोकल कॉन्जूगेट वैक्सीन (पीसीवी) होगी। 15 सितंबर से सरकार की ओर से यह व्यवस्था शुरू करने की तैयारी है

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 12:08 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 12:08 AM (IST)
टीकाकरण करने वाले एमपीएचडब्ल्यू कर्मी हुए टर्मिनेट, निमोनिया की निशुल्क वैक्सीन पर संकट
टीकाकरण करने वाले एमपीएचडब्ल्यू कर्मी हुए टर्मिनेट, निमोनिया की निशुल्क वैक्सीन पर संकट

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सरकारी अस्पताल में पहली बार निमोनिया के उपचार के लिए निशुल्क वैक्सीन की सुविधा शुरू होने जा रही है। हर स्वास्थ्य केंद्र पर न्यूमोकोकल कॉन्जूगेट वैक्सीन (पीसीवी) होगी। 15 सितंबर से सरकार की ओर से यह व्यवस्था शुरू करने की तैयारी है। ऐसे में बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारियों के टर्मिनेशन की वजह से दिक्कत आ सकती है, क्योंकि टीकाकरण का जिम्मा इन्हीं कर्मियों पर होता है। हालांकि विभाग का दावा है कि टीकाकरण में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। एएनएम व स्टाफ नर्सों से टीकाकरण कराया जा रहा है।

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काम पर लौटने की वजह से निलंबित किए गए कर्मचारी :

बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी एसोसिएशन के बैनर तले कर्मचारी लगभग 15 दिन से हड़ताल कर रहे हैं। एस्मा के उल्लंघन के आरोप में कर्मचारियों पर केस दर्ज कराया गया। इसमें से एसोसिएशसन के तीन पदाधिकारियों सुरेश कुमार, रोहित कक्कड़ व वीरेंद्र कुमार की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। जबकि 135 कर्मियों को टर्मिनेट किया जा चुका है। इन कर्मियों का मुख्य कार्य टीकाकरण का ही है। ऐसे में अब यदि निमोनिया के टीकाकरण की योजना शुरू होती है, तो उसमें दिक्कत आ सकती है। क्योंकि अभी तक कर्मियों की नई भर्ती भी सरकार की ओर से शुरू नहीं की गई है।

क्या है निमोनिया

निमोनिया एक संक्रमण रोग है। यह एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों को वायु या द्रव्य या मवाद से भरकर सुजा देता है। जिससे बलगम, खाली खांसी, बुखार, ठंग लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। समय पर यदि उपचार न किया जाए तो यह जानलेवा साबित भी हो सकता है। यह शिशु, युवा बच्चों व 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में हो सकता है। बच्चों में इस रोग की संभावना अधिक रहती है। देश में एक लाख से ऊपर कम उम्र के बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है, जबकि प्रदेश में यह आंकड़ा 2000-2500 है।

इसलिए लिया निर्णय

हरियाणा में न्यूमोकोकल निमोनिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। तीन में से एक बच्चे को इस रोग की गिरफ्त में आने की संभावना रहती है, लेकिन स्वास्थ्य के विभाग के पास बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। बाजार में वैक्सीन की कीमत 4 से 5 हजार रुपये है और मरीज को तीन इंजेक्शन लगते हैं। अब हरियाणा सरकार ने अपने बजट से वैक्सीन उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है। इसके लिए करीब 50 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।

ये है रोग के लक्षण

चिकित्सकों के मुताबिक निमोनिया की गिरफ्त में आने के बाद मरीज को बलगम वाली खांसी, सांस में कठनाई, सीने में दर्द या बेचैनी, भूख कम लगना, बुखार (पसीना व कंपकंपी) कम रक्तचाप, मतली व उल्टी, खांसी में खून आना, खांसते समय छाती में दर्द की शिकायत होने लगती है।

कोट्स :

टीकाकरण के किसी भी कार्य में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। लगभग 80 जगहों पर टीकाकरण एमपीएचडब्ल्यू कर्मियों के बिना चल रहा है। आगे भी कोई दिक्कत नहीं आएगी। सरकार की ओर से नए कर्मियों की भर्ती के लिए भी प्रक्रिया जल्द शुरू कराने की उम्मीद है। इसी तरह से निमोनिया के टीकाकरण में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।

डॉ. कुलदीप ¨सह, सिविल सर्जन, यमुनानगर।


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