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तबाही के रास्ते खोलने पर आमदा खनन ठेकेदार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : यमुना नदी में कायदे के मुताबिक खनन नहीं हो रहा है। एक ओर ज

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 10:45 PM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 10:45 PM (IST)
तबाही के रास्ते खोलने पर आमदा खनन ठेकेदार
तबाही के रास्ते खोलने पर आमदा खनन ठेकेदार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : यमुना नदी में कायदे के मुताबिक खनन नहीं हो रहा है। एक ओर जहां पापलाइन मशीन रातभर यमुना की सीना चीर रही हैं वहीं खनन ठेकेदार तटबंधों को सरेआम नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। बाढ़ से बचाव के लिए ¨सचाई विभाग की ओर से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये की लागत से तटबंध बनाए जाते हैं और इस वर्ष भी करीब 10 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। लेकिन पटबंधों के नीचे से ही जेसीबी के जरिए रेत उठाया जा रहा है। जबकि नियम के मुताबिक तटबंध से कम से कम 15 मीटर दूर से खोदाई होनी चाहिए।

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सीएम के समक्ष उठ चुका मुद्दा

यमुना नदी में अवैध रूप से हो रहे खनन का मुद्दा जनता दरबार में सीएम के समक्ष भी उठ चुका है। इस दौरान सीएम ने खनन अधिकारी को मौके पर बुलाकर अवैध रूप से हो रहे खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के निर्देश दिए थे। कुछ दिन तक मामला शांत रहा और उसके बाद फिर वही स्थिति पैदा हो गई। इन दिनों यमुना क्षेत्र से तो खनन किया ही जा रहा है, लेकिन तटबंध भी बख्शे नहीं जा रहे हैं। तटबंधों के नीचे से रेत निकाल देने से पथर यमुना में गिर रहे हैं और पानी के तेज बहाव के साथ कटाव होना स्वाभाविक सी बात है।

विभाग को कर चुके शिकायत

बीते दिनों हरियाणा एंटी करप्शन सोसाइटी की ओर से ¨सचाई विभाग को इस बारे शिकायत की थी और शिकायत मिलने के बाद विभागीय अधिकारियों ने दौरा भी किया। लेकिन कार्रवाई यहीं तक सीमित रही। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि खनन से कोई एतराज नहीं है, लेकिन यदि तटबंधों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है तो यह गलत है। ऐसा करने से बाढ़ के रास्ते खोले जा रहे हैं और बाढ़ से बचाव के लिए खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपये भी पानी में बहाए जा रहे हैं।

नहीं बन पाई पक्की पटरी

प्रति वर्ष तटबंधों के निर्माण पर सरकार हर वर्ष 8-10 करोड़ रुपये खर्च करती है। जबकि क्षेत्र के लोग यमुना के साथ-साथ पक्की पटरी की मांग करते आ रहे हैं। पटरी की मांग तो आज तक पूरी नहीं हुए, लेकिन बचाव के लिए जो तटबंध बने हुए हैं, वह भी खनन ठेकेदारों के निशाने पर हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश की ओर कई किलोमीटर लंबी पक्की पटरी का निर्माण भी हो चुका है जिसके कारण हरियाणा की ओर बाढ़ का खतरा और भी बढ़ जाता है।

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नियम व कानूनों को ताक पर रखकर खनन किया जा रहा है। तटबंधों को सरेआम नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जिस कदर खनन हो रहा है, उससे तो क्षेत्र का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इस काम में सरकारी तंत्र भी संलिप्त है। अवैध रूप से हो रहे खनन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए। अधिकारी दबाव में आकर जांच करने से बचते हैं। इस मामले की गहनता से जांच होनी चाहिए और अवैध रूप से खनन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

शिव कुमार संधाला, क्षेत्रीय किसान

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यमुना में हो रहे अवैध खनन और तटबंधों को नुकसान पहुंचाए जाने से संबंधित सीएम व ¨सचाई विभाग को दी है। बीते दिनों विभागीय अधिकारियों ने भी क्षेत्र का दौरा किया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। नियमानुसार खनन होना चाहिए ताकि क्षेत्र को भी नुकसान न हो। जो तटबंध ¨सचाई विभाग ने क्षेत्र के लोगों की डिमांड पर बनवाए, उनको अब खनन ठेकेदार तहस-नहस कर रहे हैं। इस संदर्भ में उच्चाधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए।

एडवोकेट वरयाम ¨सह, प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा एंटी करप्शन सोसाइटी

वर्जन

तटबंध से 15 मीटर की दूरी छोड़कर ही खनन किया जा सकता है। यदि तटबंधों के बिल्कुल नजदीक या नीचे से रेत निकाला जा रहा है तो गलत है। टीम भेजकर मामले की जांच करवाई जाएगी। यमुना के क्षेत्र में ही खनन होना चाहिए।

एसडी शर्मा, एसई, ¨सचाई विभाग।


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