बाजार में कपड़े की दुकानें बंद, ग्रामीणों से सूती कपड़े लेकर बनाए जा रहे मास्क
गांव हरिपुर कम्बोयान में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह ने सूती कपड़े लाओ मास्क ले जाओ गांव बचाओ कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत समूह की महिलाएं ग्रामीणों से सूती कपड़े ले रही हैं। बदले में उन्हें मास्क तैयार कर दिए जा रहे हैं।
अवनीश कुमार, यमुनानगर
कोरोना वायरस के चलते मास्क की मांग काफी बढ़ी है। कुछ जगहों पर मेडिकल स्टोरों पर मास्क का स्टॉक खत्म है, तो कही पर महंगे मिल रहे हैं। ऐसे में गांव हरिपुर कम्बोयान में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह ने सूती कपड़े लाओ मास्क ले जाओ गांव बचाओ कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत समूह की महिलाएं ग्रामीणों से सूती कपड़े ले रही हैं। बदले में उन्हें मास्क तैयार कर दिए जा रहे हैं। जिससे लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाया जा सके।
सूरज स्वयं सहायता समूह की प्रधान रिजू ने बताया कि इस समय लॉकडाउन में घर में भी खाली बैठे हैं। दूसरा इस आपदा के समय में अपने स्तर से लोगों की मदद की जाए। इसलिए ही समूह की तृषा व सोनिया के साथ मिलकर यह योजना बनाई गई। इस समय मास्क बनाने में प्रयोग होने वाले कपड़े व प्लास्टिक की दुकानें भी बंद हैं। इसलिए ही ग्रामीणों से सूती कपड़ा लिया जा रहा है। इसके तहत ही ग्रामीणों से कपड़ा लिया जा रहा है। उनके मास्क तैयार कर ग्रामीणों को दे रहे हैं।
डिटोल व फिटकरी से करते हैं सैनिटाइज :
ग्रामीण जो सूती कपड़ा देते हैं। उसको डिटोल व फिटकरी के घोल में धोकर एंटी बैक्टीरियल करते हैं। फिर उससे मास्क तैयार किए जाते हैं। इस समय प्लास्टिक रबर नहीं मिल रही है। इसलिए मास्क में कपड़े की तनी बांधने के लिए लगाई जाती है। गांव के अधिकतर लोगों को यह मास्क दिए जा चुके हैं। इन मास्क को धोकर फिर से प्रयोग में कर सकते हैं।
गरीबों को दिए जा रहे निशुल्क :
ग्रामीणों को यह मास्क निशुल्क दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही गांव से बाहर से भी दुकानदारों के ऑर्डर समूह को मिल रहे हैं। जिन्हें काफी कम कीमत पर यह मास्क दिए जा रहे हैं। समूह की प्रधान रिजू का कहना है कि बाजार में मास्क की कमी से रेट बढ़ गए हैं, ऐसे में वह मास्क बनाकर इस कमी को पूरा कर रही हैं ताकि जरूरतमंद व्यक्तियों को मास्क उपलब्ध हो सके। मास्क बनाने के ऑर्डर मिल रहे हैं। इन्हें बाजार से कम कीमत पर दिया जा रहा है।
पहले भी प्लास्टिक फ्री अभियान में रही थी भागीदारी :
स्वच्छ भारत मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक बलिद्र कटारिया ने बताया कि सूरज स्वयं सहायता समूह ने पहले भी प्लास्टिक फ्री अभियान में प्रशासन की मुहिम में भागीदारी की थी। इन्होंने ही कपड़े से कैरी बैग बनाए थे। लोगों को प्लास्टिक बैग के स्थान पर कपड़े के बैग दिए गए हैं। जिससे अब गांव में कोई भी प्लास्टिक बैग का प्रयोग नहीं करता।